सऊदी के आर्मी चीफ का भारत दौरा इन दिनों सुर्खियों में है. उन्होंने भारत के आर्मी चीफ से मुलाकात की है और दोनों देशों के बीच अहम सैन्य और रक्षा करार हुए हैं. सऊदी अरब के किसी भी आर्मी चीफ का यह पहला आधिकारिक भारत दौरा है. पाकिस्तान खुद को सऊदी का खास बताता है. भारत और सऊदी अरब के बीच मजबूत होते संबंधों के साथ पाकिस्तान को मुलाकात में इस्तेमाल की गई बैकग्राउंड तस्वीर पर भी आपत्ति है. समझें विवाद की पूरी वजह.
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सऊदी के आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतायर भारत के तीन दिवसीय यात्रा पर थे. इस दौरान उन्होंने भारत के सेना प्रमुख एमएम नरवणे से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बैकग्राउंड में 1971 युद्ध में पाकिस्तानी सेना के समर्पण वाली ऐतिहासिक तस्वीर थी. इस तस्वीर और भारत और सऊदी की बढञती घनिष्ठता को लेकर इमरान खान पर उनके ही देश के विपक्षी नेता बरस रहे हैं.
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भारत और सऊदी अरब के सेना प्रमुखों ने दोनों देशों के साझा आर्थिक हितों, आतंकवाद को खत्म करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के पर भी बातचीत की है. भारत और सऊदी अरब ने रक्षा कूटनीति को दोनों देशों के रिश्तों का प्रमुख सिद्धांत भी करार दिया है. पिछले कुछ वर्षों में भारत ने सऊदी अरब के साथ घनिष्ठता बढ़ाई है. भारत से सऊदी जाने वाले कामगारों की संख्या भी बढ़ी है. सऊदी आर्मी चीफ की भारत यात्रा को पाकिस्तान के सबसे बड़े अखबार डॉन ने ऐतिहासिक करार दिया है.
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भारत और सऊदी अरब की बढ़ती दोस्ती पर पाकिस्तानी सांसदों ने इमरान खान को जमकर सुनाया है. पाकिस्तान के कई न्यूज चैनलों में इस पर चर्चा भी की गई है. पाकिस्तान के थिंक टैंक ने भी इसे पाक विदेश नीति के लिए खतरे की घंटी करार दिया है. इस बीच विपक्षी पार्टियों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) ने इमरान खान पर पाकिस्तान की विदेश नीति को लेकर फेल साबित होने का आरोप लगाया है. विपक्षी दलों का कहना है कि इस्लामिक मुल्क सऊदी पाकिस्तान का घनिष्ठ मित्र रहा है लेकिन भारत से दोस्ती बढ़ाना हमारे लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.
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पाकिस्तान की विदेश नीति अब तक चीन और सऊदी अरब के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है. पाकिस्तान ने दोनों ही देशों से खूब कर्ज लिया है. सऊदी को सैन्य सहयोग देने के नाम पर इस्लामाबाद ने खूब कर्ज लिया है और कई तरह की मदद हासिल की है. अब बदलते हालात में सऊदी अरब के लिए पाकिस्तान की दोस्ती ज्यादा मायने नहीं रखती है. हूती विद्रोहियों से निपटने के लिए यूएई और सऊदी को अमेरिका से मदद मिली है. भारत से यूएई और सऊदी जाने वाले कुशल कामगारों की संख्या भी बढ़ रही है. ऐसे में कर्ज में डूबे पाकिस्तान से सऊदी को अब सैन्य मदद की भी जरूरत नहीं रही है.
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इस्लामिक देश होने की वजह से पाकिस्तान यूएई और सऊदी से निकटता दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ता है. मोदी सरकार ने इन दोनों ही देशों के साथ संबंध मजबूत करने की पहल की है. पीएम मोदी खुद भी यूएई और सऊदी अरब का दौरा कर चुके हैं. इसके अलावा, 2020 में किसी भारतीय आर्मी चीफ ने पहली बार सऊदी अरब की यात्रा की थी. क्राउन प्रिंस भी भारत दौरे पर आ चुके हैं. मोदी सरकार यूएई और सऊदी में रोजगार के अवसर देखते हुए आर्थिक संबंध मजबूत कर रही है. इसके अलावा कूटनीतिक संबंधों के लिहाज से सैन्य संबंधों पर भी जोर दे रही है.