पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के साथ लोगों को बदलाव की उम्मीद थी मगर ये होता हुआ दिखाई नहीं रहा है. पाकिस्तान की जनता पस्त है. महंगाई अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है. CPI डाटा के मुताबिक, पाकिस्तान में महंगाई दर 13.4% तक पहुंच गई है. पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल के दामों में लगातार बढ़ोतरी की वजह से अब अर्थव्यवस्था चरमराने लगी है.
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लगातार बढ़ती महंगाई की वजह से नई सरकार के लिए स्थितियां नाजुक बनती जा रही है. पाकिस्तान में आटा, दाल, फल, सब्जियां, दूध और अंडे सहित हर सामान की कीमत आसमान छू रही हैं. 10 किलोग्राम आटे का दाम लगभग 700 रुपये, एक लीटर दूध 180 रुपये तक पहुंच गया है. पाकिस्तान में खाने की चीजों की मंहगाई दर 17% से अधिक है. साथ ही पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में पिछले 6 महीने के दौरान लगभग 28.6% का इजाफा हुआ है.
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पाकिस्तान गरीबी में आटा गीला वाली स्थिति से भी बदतर हालत में पहुंच चुका है. किसी समय में अमेरिका और चीन दोनों के चहेते पाकिस्तान को इस बुरी स्थिति में कहीं से भी मदद नहीं मिल रही है. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन पाकिस्तान के हालात देखते हुए मदद का वादा करके मुकर गया है. वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ कामकाज संभालते ही कर्ज वापस करने की मोहलत को बढ़ाने को लेकर सऊदी अरब के सामने गुहार लगा चुके हैं. बता दें कि नवंबर 2021 में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 50 हजार करोड़ रह गया था तब तत्कालीन इमरान खान सरकार को सऊदी अरब ने 6 महीने के लिए आर्थिक मदद दी थी.
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पाकिस्तान पर बढ़ता कर्ज
State Bank of Pakistan के एक डाटा के मुताबिक, मार्च 2021 में पाकिस्तान का विदेशी कर्ज 116.3 USD तक पहुंच गया था. पाकिस्तान 30 दिसंबर 2020 तक कुल $294 बिलियन के विदेशी क़र्ज़ में डूबा हुआ था. पाक वित्त मंत्रालय के अनुसार, अन्य देशों से आयातित वस्तुओं जैसे कच्चे तेल, खाद्य तेल और दालों की बढ़ती कीमतों के कारण पाकिस्तान को भारी संकट का सामना करना पड़ा रहा है. पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने देश की इस हालत के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार को दोषी ठहराया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) सरकार ने देश के चार साल बर्बाद किए हैं. उन्होंने कहा कि विदेशी कर्ज का बोझ केवल उनकी गलत नीतियों के कारण बढ़ता चला गया है.
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पाकिस्तान Bureau of Statistics के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 के पहले नौ महीनों (जुलाई-मार्च) में पाकिस्तान का एनर्जी आयात बिल दोगुना होकर 14.81 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. जो पिछले वर्ष 2021 में 7.55 बिलियन डॉलर था. बढ़ते आयात की वजह से पाकिस्तान को वित्त-वर्ष 22 की शुरुआत में ही 13.17 बिलियन डॉलर का घाटा हो गया, जो पिछले वर्ष केवल 275 मिलियन डॉलर था. पाकिस्तान की ख़राब हालत के ज़िम्मेदार बड़े तौर पर public debt, घटता विदेशी मुद्रा भंडार, इन्फ्लेशन और सरकार की नीतियां हैं.
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पाकिस्तान की हालत इतनी ख़राब है कि चीन के साथ (CPEC) के तहत चल रहे कई प्रोजेक्ट्स अभी तक पूरे नहीं हुए हैं या उनका काम रुका हुआ है. चीन के ड्रीम प्रोजेक्ट चाइना-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर (CPEC) पर बहुत कोशिश करने के बावजूद भी काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है. हालिया रिपोर्ट की मानें तो तय समय से इस प्रोजेक्ट का काम काफी पीछे चल रहा है. अब तक 15 में से सिर्फ तीन प्रोजेक्ट का ही काम हो पाया है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो खस्ता हाल इकॉनमी की वजह से पाकिस्तान में चल रहे ये प्रोजेक्ट अटके हुए हैं. CPEC से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि ग्वादर में कुछ सोसियो-इकॉनमिक बैनिफिट की वजह से काम पीछे चल रहा है.
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आज भी पाकिस्तान में लग्जरी कार और महंगे विदेशी मोबाइल की बहुत डिमांड है. वहीं पाकिस्तान में विदेशी cheese, बटर, कॉस्मेटिक की भी भारी मांग है. जनता की इन मांगों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान की सरकार का हर साल बड़ी तादाद में लग्जरी ब्रांड्स के सामान इम्पोर्ट करने पड़ते हैं. इकोनॉमिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान अगर इस पर रोक लगाए तो बड़ी बचत कर सकता है.