अभी दुनिया कोरोना (covid-19) से पूरी तरह से उबरी भी नहीं है कि मंकीपॉक्स (Monkeypox) ने दस्तक दे दी. कई सालों बाद बड़े स्तर पर मंकीपॉक्स के फैलने से कई यूरोपीय देश परेशान हो गए हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इस वायरस के लिए अभी भी पर्याप्त इलाज मौजूद नहीं है जो पूरी तरह से इस वायरस को खत्म कर इंसानों को इसकी चपेट से बचा सके. हमने और हमारी टीम ने मंकी पॉक्स को लेकर गहरी रिसर्च की ताकि आप सबको बता सके कि ये मंकी पॉक्स क्या है, कहां से आया, इसे फैलने से कैसे रोके और खुद को इससे कैसे बचाएं आदि. आइए जानते है मंकी पॉक्स की पूरी कहानी.
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मंकी पॉक्स एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है जोकि पॉक्स विरिडे फैमली के ऑर्थोपॉक्सवायरस वायरस से संबंधित है. आसान शब्दों में कहा जाए तो मंकी पॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलने वाला एक वायरस है, जिसके लक्षण चेचक(smallpox) जैसे होते हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि चेचक के मुकाबले इलाज की दृष्टि से मंकी पॉक्स (monkeypox in hindi) कम गंभीर है.
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मंकीपॉक्स नाम की उत्पत्ति साल 1958 में डेनिश प्रयोगशाला में बंदरों में वायरस की शुरुआती खोज से हुई थी. लेकिन इंसानों में इस वायरस का सबसे पहला केस साल 1970 में रिपब्लिक ऑफ कांगो में एक 9 साल के लड़के में देखा गया था. हालांकि स्मॉलपॉक्स या चेचक को टीके के जरिए पूरी दुनिया से साल 1980 में खत्म कर दिया था लेकिन कई मध्य अफ्रीकी और पश्चिम अफ्रीकी देश में मंकी पॉक्स के केस अब भी पाए जाते हैं. अभी तक मंकी पॉक्स के ज्यादातर केस ग्रामीण, बारिश वाले क्षेत्रों से सामने आए हैं.
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मंकी पॉक्स के लिए कई जानवरों की प्रजातियों को जिम्मेदार माना गया है. इन जानवरों में गैम्बियन पाउच वाले चूहे, रोप गिलहरी, डॉर्माउस, ट्री गिलहरी
गैर-मानव प्राइमेट आदि प्रजातियां शामिल हैं. ये वायरस जानवरों से इंसानों के शरीर में मुख्यतः तीन तरह से प्रवेश कर सकता है. पहला जब ऊपर बताए गए जानवरों में से कोई जानवर आपको काट खाए. दूसरा अगर वह अपने नाखूनों से आपकी स्किन को स्क्रैच कर दे यानी छील दें. तीसरा जब आप शिकार किए गए मीट (bush meat) का सेवन करते हैं. मंकी पॉक्स का विस्तार जानवरों से इंसानों में होता तो है पर एक इंसान से दूसरे इंसान में इस वायरस का विस्तार अभी तक नहीं देखा गया है. हालांकि मंकी पॉक्स वायरस एक संक्रमित इंसान से दूसरे इंसान के संपर्क में आने पर त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या आंख, नाक और मुंह के जरिए भी फैल सकता है.
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मंकी पॉक्स वायरस लक्षणों की शुरुआत आमतौर पर 6 -12 दिनों तक हो जाती है. लिम्फ नोड्स की सूजन, बुखार, तेज सिरदर्द, पीठ में दर्द, मांसपेशियों में दर्द आदि लक्षण इसकी विशेषता हैं . मंकी पॉक्स से संक्रमित होने पर शुरुआत में फफोले और दाने शरीर में गर्दन की बजाय चेहरे और हाथ-पांव पर दिखाई देने लगते हैं. जो पहले स्मॉल पॉक्स की तरह ही नजर आते हैं. इसके बाद बुखार आने के एक से तीन दिनों के अंदर त्वचा फटने (skin tear) लग जाती है . इतना ही नहीं ये वायरस मुंह, हथेलियों और पैरों को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार गैर- अफ्रीकी देशों के अलावा अभी तक इन देशों में मंकी पॉक्स के ताजा मामले मिले हैं. जिनमें जिनमें से सबसे अधिक पुर्तगाल, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं. वहीं अमेरिका में करीब 5 केसों की पुष्टि हो चुकी है.
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सबसे पहले तो जिन जानवरों का जिक्र हमने ऊपर किया हुआ है उन जानवरों से दूरी बनाकर रखें. दूसरा अगर आपके समक्ष कोई ऐसा इंसान है जिसे मंकी पॉक्स हो गया है या आप ऐसे क्षेत्र में हैं जहां मंकी पॉक्स के केस अधिक हैं तो आप मास्क का प्रयोग करें. स्किन कॉन्टैक्ट को कम रखें, ग्लव्स का यूज करें और साबुन और एल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर और हैंड रब से समस-समय पर हाथ धोएं.
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मंकी पॉक्स के शुरुआती लक्षण दिखने पर आपको तुंरत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए साथ ही अपने खून की जांच करानी चाहिए. एक्सपर्ट की माने तो चेचक की रोकथाम के लिए बने वैक्सीन भी मंकीपॉक्स से कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान करती है. चेचक के लिए विकसित की गई MVA-BN वैक्सीन को साल 2019 में मंकीपॉक्स के रोकथाम में इस्तेमाल के लिए स्वीकृति दे दी गई थी. हालांकि मंकी पॉक्स के लिए अभी तक व्यापक रूप से कोई वैक्सीन या कारगर इलाज उपलब्ध नहीं है. इस वायरस को खत्म करने के लिए अभी भी स्टडी चल रही है.
Short Title
monkeypox: कैसे हुई शुरुआत अभी तक इन देशों में फैल चुका है ये वायरस