गोलान हाइट्स पर इजरायल ने 1967 के चर्चित युद्ध के बाद अपना कब्जा जमा लिया था. सीरिया से यह जगह जीतने के बाद भी दोनों देशों के बीच इसे लेकर तनातनी आज तक जारी है. अब इजरायल ने यहां भारी निवेश कर यहूदियों की बस्ती बसाने का प्लान तैयार किया है. दरअसल, इजरायर का यह फैसला रणनीतिक तौर पर अहम है. उसकी कोशिश इसके जरिए सीरिया को साधने की भी है. समझें पूरी कहानी...
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सीरिया खुद इस वक्त संकटग्रस्त हालात में है लेकिन गोलान हाइट्स पर गाहे-बगाहे गोलियां बरसाता ही है. गृहयुद्ध से जूझ रहे सीरिया के लिए गोलान हाइट्स महत्वपूर्ण है. दूसरी ओर, इजरायल के लिए भी यह इलाका रणनीतिक तौर पर जरूरी है. इस इलाके में अपनी दखल बढ़ाकर सीरिया पर नजर रखना इजरायल का मकसद है.
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गोलान हाइट्स का इलाका सीरिया की राजधानी दमिश्क से सिर्फ 60 किमी. दूर है. रणनीतिक तौर पर इजरायल के लिए यह जगह महत्वपूर्ण है क्योंकि ऊंची पहाड़ियों से दमिश्क पर नजर रखना आसान है. इसके अलावा, यहां करीब 20,000 सीरियाई अभी रह रहे हैं. उन पर अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए इजरायल यहूदियों को इस इलाके में बसाना चाहता है.
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इसके अलावा, पैदावार और पानी के लिहाज से यह जगह बहुत काम की है. यहां फसलों की पैदावार अच्छी होती है और पीने लायक पानी है. इससे इजरायल की पानी की जरूरत बड़े पैमाने पर पूरी हो सकती है. हालांकि, इजरायल का कहना है कि प्राकृतिक सुंदरता से भरे इस जगह को वह टूरिज्म इंडस्ट्री के तौर पर विकसित करना चाहता है.
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बता दें कि 54 साल के बाद भी इस इलाके को इजरायल अधिकृत क्षेत्र कहा जाता है. सिर्फ अमेरिका ने ही गोलान हाइट्स में इजरायल को मान्यता दी है. इजरायल यहां बड़े पैमाने पर यहूदियों को बसाकर अपने लिए वैश्विक पुष्टि का माहौल बनाना चाहता है.
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इजरायल सरकार ने तय किया है कि यहां 23,000 नए यहूदियों को बसाया जाएगा. इसके लिए, 1 अरब इजरायली शेकेल खर्च किए जाएंगे और 7300 नए घर बनाए जाएंगे. इस इलाके को बसाने में इजरायल भारतीय मुद्रा में 23 अरब से ज्यादा खर्च किए जाएंगे.