पाकिस्तान को अब तक का इकलौता वर्ल्ड कप दिलाने वाले कप्तान इमरान खान सियासी पारी में हार गए हैं. अविश्वास प्रस्ताव हार चुके इमरान की पाकिस्तान की सत्ता से विदाई हो गई है. उनके क्रिकेट और राजनीतिक करियर की बात की जाए तो दोनों में कुछ समानताएं हैं और कुछ अंतर भी हैं. सियासत में भी इमरान पीएम की कुर्सी तक तो पहुंचे लेकिन कप्तानी पारी नहीं खेल सके और कार्यकाल पूरा होने से पहले ही विदा हो चुके हैं.
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1971 में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला खेलने वाले इमरान खान ने अपनी कप्तानी में 1992 में पाकिस्तान क्रिकेट टीम को पहला और अब तक का आखिरी वर्ल्ड कप दिलाया था. वर्ल्ड कप फाइनल में उन्होंने 72 रन बनाने के अलावा एक विकेट भी लिया था. इमरान खान ने अपने करियर में 88 टेस्ट मैच खेले हैं. 88 टेस्ट मैचों में उन्होंने 3,807 रन बनाए हैं और 362 विकेट चटकाए है. उन्होंने 175 एकदिवसीय मुकाबलों में 3,709 रन बनाए हैं और 182 विकेट हासिल किए हैं.
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शनिवार की आधी रात को पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान की सियासी पारी का बेहद शर्मनाक अंत हुआ है. जब इमरान की विदाई हो रही थी तब पीटीआई का कोई भी सांसद सदन में मौजूद नहीं था. लिहाजा विपक्ष ने एकतरफा जीत हासिल की है. क्रिकेट में कई रिकॉर्ड्स अपने नाम करने वाले इमरान खान नेशनल असेंबली में खाता भी नहीं खोल पाए और शून्य मतों के साथ सत्ता की पिच से उनकी विदाई हो गई है.
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सरकार बचाने के लिए इमरान खान ने तमाम कोशिशें की थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद स्पीकर ने शनिवार रात वोटिंग की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. अपनी सत्ता बचाने के लिए किसी खिलाड़ी की तरह उन्होंने आखिरी वक्त तक दांव लगाया लेकिन उनकी सियासी पारी में दूसरे छोर पर खड़े साथियों ने ही धोखा दे दिया और एक तरह से रन आउट हो गए थे.
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इमरान खान जब राजनीति में आए थे तो पहली बार चुनाव में वह सात स्थानों से चुनाव लड़े थे और सभी जगहों से उनकी जमानत जब्त हो गई थी. उस वक्त उन्हें यह समझ आ गया था कि क्रिकेट के स्टार होने भर से राजनीति की पारी पर सफल होना आसान नहीं है. 1996 में इमरान ने देश में राजनीतिक भविष्य तलाश करने के लिए खुद की पार्टी तहरीके इंसाफ बनाई थी. उन्हें राजनीति के शिखर तक पहुंचने में लगभग 2 दशक का वक्त लगा और 25 जुलाई 2018 को 270 सीटों के परिणाम घोषित हुए थे. इस परिणाम के मुताबिक इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ यानी पीटीआई को 116 सीटें मिली थीं और वह नया पाकिस्तान का नारा देकर पीएम बने थे.
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बतौर क्रिकेटर इमरान खान की छवि हमेशा एक उम्दा खिलाड़ी लेकिन दिलफेंक इंसान के तौर पर थी. 1980 और 90 के दौर में क्रिकेट में उनके चाहने वालों की बेशुमार संख्या थी और इमरान पर लड़कियां जान छिड़कती थीं. उनके अफेयर के किस्से अक्सर ही सनसनी के तौर पर गॉसिप कॉलम में छपते थे. हालांकि, राजनीति की दुनिया में आने के बाद उन्होंने अपनी उस छवि को बदलने की हर संभव कोशिश की और कुछ हद तक सफल भी रहे थे.