डीएनए हिंदीः पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) प्रमुख और मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद (Hafiz Saeed) के बेटे हाफिज तलहा सईद (Hafiz Talha Saeed) को ग्बोलल आतंकियों की सूची से बचाने के लिए चीन ने एक बार फिर चाल चल दी है. चीन ने संयुक्त राष्ट्र में वीटो पावर (Veto Power) का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के आतंकी शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी. गौरतलब है कि दो दिन में चीन का यह इस तरह का दूसरा कदम है. इससे पहले चीन ने मंगलवार को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकवादी की सूची में शामिल कराने के भारत और अमेरिका के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र में बाधित कर दिया था. आखिर वीटो पावर होती क्या है और किन-किन देशों की यह ताकत मिली है? विस्तार से समझते हैं.
वीटो पावर क्या होती है?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) के पांच स्थायी सदस्यों (Permanent Members) को वीटो की शक्ति प्रदान की गई है. इन देशों में चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं. वीटो को नेगेटिव वोट कहा जाता है. इसमें यूएन के सिक्योरिटी काउंसिल के स्थायी सदस्य अपने एक वोट से किसी भी प्रस्ताव को पारित कर सकते हैं या खारिज कर सकते हैं. बता दें कि यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में 15 सदस्य होते हैं. इन 15 सदस्यों में से 5 सदस्य स्थायी होते हैं जिन्हें P5 भी कहा जाता है और बाकि 10 गैर-स्थायी सदस्य होते हैं. गैर-स्थायी सदस्यों को केवल 2 साल के लिए चुना जाता है. वर्तमान में गैर-स्थायी सदस्यों में एस्टोनिया, भारत, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको, नाइजर, नॉर्वे, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, ट्यूनीशिया और वियतनाम शामिल है.
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सबसे ज्यादा रूस ने किया इस्तेमाल
वीटो पावर का सबसे अधिक इस्तेमाल रूस ने किया है. रूस 143 बार वीटो पावर का इस्तेमाल कर चुका है. बता दें कि 2011 से रूस ने 19 वीटो डाले, जिनमें से 14 सीरिया पर थे. वहीं अमेरिका ने अपने 83 वीटो में से पहला वीटो 17 मार्च 1970 में प्रयोग किया था. उस समय तक सोवियत संघ ने 107 वीटो इस्तेमाल कर लिए थे. ब्रिटेन ने 32 बार वीटो का इस्तेमाल किया है और इसने सबसे पहले 30 अक्टूबर 1956 को स्वेज संकट के दौरान इस्तेमाल किया था. इसके अलावा फ्रांस ने पहली बार 26 जून 1946 को स्पेनिश प्रश्न के संबंध में वीटो उपयोग किया और अब तक फ्रांस ने कुल 18 वीटो इस्तेमाल किया है. चीन ने 19 बार वीटो का इस्तेमाल किया है.
पहली बार किसने किया वीटो का इस्तेमाल
वीटो पावर का सबसे पहले इस्तेमाल 16 फरवरी 1946 को सोवियत संघ (वर्तमान में रूस) ने लेबनान और सीरिया से विदेशी सैनिकों की वापसी से संबंधित एक ड्राफ्ट को ब्लॉक कर दिया था. बता दें कि अगर कोई स्थायी सदस्य यानी वीटो पावर रखने वाला देश किसी प्रस्तावित प्रस्ताव से पूरी तरह सहमत नहीं है, लेकिन वीटो भी नहीं डालना चाहता है, तो वह अलग रहने का विकल्प चुन सकता है. इस प्रकार यदि प्रस्ताव पर नौ वोट पक्ष में पड़ते हैं, तो उसे स्वीकार कर लिया जाता है.
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भारत के समर्थन में रूस का वीटो
रूस ने भारत के पक्ष में कई बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया है. इसमें पहली बार 1957 में कश्मीर मुद्दे पर भारत के लिए वीटो पावर का इस्तेमाल किया था. 1961 में पुर्तगाल ने गोवा के संबंध में UNSC को एक पत्र भेजा. गोवा उस समय पुर्तगाल के अधीन था और भारत इस क्षेत्र को मुक्त करने और इसे अपने राष्ट्र का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रहा था. यूएन में पुर्तगाल के प्रस्ताव को अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस द्वारा समर्थन मिला थ। लेकिन रूस ने भारत का साथ दिया और वीटो पावर का इस्तेमाल कर प्रस्ताव को रोक दिया. इसी के बाद 19 दिसंबर, 1961 को गोवा आखिकार पुर्तगाल के शासन से मुक्त हो गया. इसके बाद 1962 में एक बार फिर कश्मीर मसले पर रूस ने भारत के पक्ष में वीटो लगाया. 1971 में एक बार फिर रूस ने भारत का साथ दिया और कश्मीर के मामले में वीटो लगाकर भारत का समर्थन किया.
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क्या होती है वीटो पावर? चीन ने कैसे इसका इस्तेमाल कर हाफिज सईद के बेटे को ब्लैकलिस्ट से बचाया