डीएनए हिंदीः भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश (Bangladesh Crisis) के हालात इस दिनों काफी खराब चल रहे हैं. प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर हजारों लोग सड़क पर उतर प्रदर्शन कर रहे हैं. अर्थव्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है. विपक्ष भी सरकार को घेरने में कई मौका नहीं छोड़ रहा है. विपक्ष ने सत्ताधारी अवामी लीग सरकार का इस्तीफा मांगा और संसद को भंग करने की मांग है. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के नेतृत्व में हजारों प्रदर्शनकारियों ने पिछले हफ्ते राजधानी ढाका में सरकार को हटाने की मांग को लेकर रैली की.
सरकार के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन
बीएनपी वहां लगातार सरकार विरोधी रैलियों को अंजाम दे रहा है. वो इस संकट को एक दशक से अधिक वक्त से बांग्लादेशी राजनीति पर हावी शेख हसीना को उखाड़ फेंकने के मौके की तरह देख रहा है. पिछले दिनों सरकार के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में एक शख्स की जान भी चली गई. वहीं दर्शनों लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए.
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IMF से लगाई मदद की गुहार
बांग्लादेश के हालात कितने खराब हो चुके हैं इसका अंदाडा इसी से लगाया जा सकता है कि अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए बीते महीने नवंबर में अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक कोष (IMF) से मदद की गुहार लगानी पड़ी. आईएमएफ ने भी मदद के लिए हामी भर दी है. आईएमएफ बांग्लादेश को 4.5 बिलियन डॉलर (लगभग 37,000 करोड़ रुपये) की आर्थिक मदद मुहैया कराने जा रहा है.
बांग्लादेश संकट की वजह क्या है?
कोरोना महामारी का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है. कोरोना का असर कई देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. इसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध ने हालात और गंभीर कर दिए हैं. बता दें कि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में टेक्साइटल निर्यात और तेल के आयात का काफी असर पड़ता है. बांग्लादेश ने जून 2021-जून 2022 के बीच 42.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के गारमेंट और 2.6 बिलियन डॉलर मूल्य के टेक्सटाइल निर्माण क्षेत्र, (कुल निर्यात का 85 प्रतिशत), इसके 13 मिलियन प्रवासियों द्वारा रेमिटेंस (2021 में रिकॉर्ड $22.07 बिलियन) और फ्यूल आयात किया.
अब महामारी के कारण दस लाख लोगों को बेरोजगार कर दिया और जब कपड़ा कारखाने इस साल सकारात्मक संकेत दिखाना शुरू कर रहे थे, तो जुलाई में विदेशी कंपनियों के ऑर्डर में 30 फीसदी की गिरावट आई क्योंकि अमेरिका, यूरोप और दूसरे देशों में उपभोक्ताओं ने आर्थिक मंदी की आहट के चलते अपना खर्च कम कर लिया. इतना ही नहीं इस साल रेमिटेंस में भी 15 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसकी वजह वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण प्रवासियों पर दबाव पड़ना और डॉलर की मजबूती है. हसीना की सरकार द्वारा इस साल की शुरुआत में एक ही हफ्ते में फ्यूल की कीमत में 50 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बांग्लादेश में भी ईंधन की कीमतें आसमान छू रही हैं.
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लगातार कम हो रहा विदेशी मुद्रा भंडार
बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार गारमेंट निर्यात में गिरावट के कारण तेजी से कम हो रहा है. 2011 से 2021 तक बांग्लादेश का कुल विदेशी ऋण 238 फीसदी से बढ़कर 91.43 बिलियन डॉलर पहुंच गया है. गौरतलब है कि इस समान अवधि के दौरान श्रीलंका के ऋण में 119 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई. नवंबर में मुद्रास्फीति (महंगाई) की दर लगभग 9 फीसदी पर पहुंच गई.
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बांग्लादेश के आर्थिक संकट की वजह क्या है? क्या श्रीलंका-पाकिस्तान की तरह डूबने जा रही पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था