Pakistan vs Afghanistan: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच युद्ध के हालात बने हुए हैं. ये हालात अंग्रेजों के समय बने डूरंड लाइन (Durand Line) को लेकर और भी ज्यादा बिगड़ते जा रहे हैं. दरअसल पाकिस्तानी फौज की ओर से अफ़गानिस्तान में घुसकर ‘तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान’ (TTP) से जुड़े लोगों पर हमला किया गया था. पाकिस्तान ने ये हमला पाकिस्तान के भीतर TTP की कार्रवाई का बदला लेने के नाम पर किया था. अफ़गानिस्तान की सरज़मीन पर पाकिस्तान के हमले का वहां की तालिबानी सरकार ने विरोध किया था, साथ ही उन्होंने भी बदले में पाकिस्तान के भीतर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया. इसके बाद दोनों ही देशों के बीच बेहद तनावपूर्ण हालात बन गए हैं.
कैसे शुरु हुआ संघर्ष
दरअसल इस सारे मौजूदा घटनाक्रम की शुरुआत टीटीपी की कार्रवाई में 16 पाकिस्तानी जवानों की मौत से होती है. इसके बाद पाक वायुसेना की ओर से अफगानिस्तान के पाकटीका प्रोविंस और 4 इलाक़ों में एयरस्ट्राइक किए गए. इन एयर स्ट्राइक में 50 लोग मारे गए. पाकिस्तान की ओर से दावा किया गया था कि ‘ये सारे लोग टीटीपी के दहशतगर्द थे, और ये पाकिस्तान के खैबर इलाके में बेहद ऐक्टिव हैं, वहां कई ऑपरेशंस को अंजाम दे चुके हैं, इनकी ओर से खासतौर पर पाकिस्तानी आर्मी को निशाना बनाया जाता है.’ इसके बाद अफ़गानिस्तान की तालिबान सरकार की ओर से पाकिस्तान की सरहदी इलाक़ों पर स्थित फौजी चौकियों को निशाना बनाया गया. इस हमले को लेकर दावा किया जा रहा है कि इसमें 19 पाकिस्तानी फौजी मारे गए हैं.
इसके बाद पाकिस्तान की ओर से फिर से अफ़गानिस्तान पर हमला किया गया, जिसमें 8 अफ़ग़ानी की मौत होने की बात कही जा रही है. तालिबान ने डूरंड लाइन को मानने से भी इनकार कर दिया है. तालिबान का कहना है कि पाकिस्तान के पश्तो बोलने वाले इलाके भी मूल रूप से अफग़ानिस्तान का ही हिस्सा है. इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. ऐसा लग रहा हैं कि दोनों के एक बड़ा युद्ध कभी भी छिड़ सकता है. अफ़ग़ानिस्तान पाकिस्तान के बनने के समय से ही डूरंड लाइन को नहीं मानता है और खैबर जैसे पख़्तूनी इलाक़ों को अपना हिस्सा मानता है.
दोनों देशों में कौन है ज्यादा ताकतवर
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज द्वारा वैश्विक सेनाओं के वार्षिक विश्लेषण के अनुसार अफगान तालिबान के पास 150,000 सक्रिय लड़ाके हैं. सैन्य प्रमुख कारी फसीहुद्दीन फितरत की ओर से रॉयटर्स को बताया गया था कि अफगान शासन ने सेना में 50,000 और लड़ाके जोड़ने की योजना बनाई थी. सत्ता में आने के बाद से तालिबान की वास्तविक सरकार ने सार्वजनिक रूप से रक्षा बजट जारी नहीं किया है. अपने रक्षा बलों को औपचारिक रूप देने के लिए उन्होंने विशेष बलों के तहत तीन बटालियन और आठ पैदल सेना कोर बनाए हैं. सेना के पास विभिन्न प्रकार के बख्तरबंद वाहन टो किए जाने वाले तोपखाने, तीन हल्के विमान और 14 हेलीकॉप्टर हैं, जिनमें अमेरिका निर्मित ब्लैक हॉक्स भी शामिल हैं, जिन्हें उसने 2021 में अंतर्राष्ट्रीय बलों की अराजक वापसी के बीच अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों के बिखर जाने के बाद जब्त कर लिया था. तालिबान के पास ए.एन.डी.एस.एफ. के कुछ रूसी हमलावर हेलीकॉप्टर भी हैं. इन सबके बावजूद भी पाकिस्तानी सेना अफगान तालिबान के मुकाबले संख्या बल में अधिक है. लेकिन लंबे और गुरुल्ला संघर्ष में तालिबान को बढ़त हासिल है. यही वजह है कि उन्हें पिछले वर्षों में अमेरिका और 1990 के दशक में रूस पर बढ़त हासिल हुई थी.
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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति, जानिए दोनों देशों में कौन है ज्यादा ताकतवर