डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच सात महीने पहले युद्ध (Russia Ukraine) शुरू हुआ था. रूस का दावा था कि वह कुछ ही हफ्तों में यह युद्ध जीत लेगा. इस दावे की सच्चाई अब यह है कि यूक्रेन अभी भी रूस के सामने डटकर खड़ा है. इन सात महीनों में यूक्रेन ने अपने कई ऐसे हिस्सों को भी वापस ले लिया है जिन पर रूस ने कब्जा कर लिया था. दूसरी तरफ, रूस ने यूक्रेन के चार इलाकों में जनमत संग्रह (Referendum) करवाया और अब उनके रूस में शामिल होने का ऐलान कर दिया है. रूस के इस कदम पर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) से लेकर यूरोपीय यूनियन (European Union) तक उसकी निंदा हो रही है. यूरोपीय देशों ने इसके खिलाफ सख्त विरोध जताते हुए रूस को चेतावनी दी है. संयुक्त राष्ट्र ने इस जनमत संग्रह को मानने से ही इनकार कर दिया है.
इसी महीने यूक्रेनी सेना ने खारकीव इलाके में जबरदस्त पलटवार किया. इसका नतीजा यह रहा कि कई इलाकों से रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा. नक्शे पर देखें तो यूक्रेन की यह कामयाबी साफ दिखती है. 23 फरवरी को युद्ध शुरू होने के बाद से रूस ने यूक्रेन ने लगभग 1,19,000 वर्ग किलोमीटर इलाके पर कब्जा कर लिया था. यानी यूक्रेन का पांचवां हिस्सा रूस के कब्जे में था. अब हालात कुछ ऐसे हैं कि रूस के कब्जे वाले क्षेत्र में लगातार कमी आ रही है.
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दो महीने बाद ही कम होने लगा रूस का कब्जा
नीचे दिए गए नक्शे के हर महीने के अपडेट को आप देखें तो समझ आता है कि फरवरी और मार्च 2022 के बाद से रूस का प्रभाव हर महीने घटता ही गया है. कहा जा रहा है कि पूरे युद्ध के दौरान पहली बार रूस बैकफुट पर है. यही वजह है कि रूस, यूक्रेन के चार इलाकों को अपना हिस्सा बता रहा है और जनमत संग्रह का हवाला दे रहा है. हालांकि, इस जनमत संग्रह की वैधता पर भी खूब सवाल उठ रहे हैं.
फरवरी-मार्च में रूस ने यूक्रेन पर चौतरफा हमला बोल दिया था. फरवरी में हमले के बाद यूक्रेन के लगभग 1,19,000 वर्ग किलोमीटर पर रूस का कब्जा हो गया था. मार्च में यह बढ़कर 1,63,000 वर्ग किलोमीटर पहुंच गया. इसके बाद यूरोपीय देशों और अमेरिका की मदद मिलने के बाद यूक्रेन ने पलटवार करना शुरू किया. अब इजियम जैसे शहर पूरी तरह से यूक्रेन के कब्जे में आ गए हैं.
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अप्रैल में ही रूस हटने लगा पीछे
एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने यूक्रेन के उत्तरी भाग में जितने हिस्से पर फरवरी-मार्च में कब्जा कर लिया था, अप्रैल आते-आते उसे 40 पर्सेंट हिस्से से पीछे हटना पड़ा. कीव, चर्नीहीव और सूमी इलाकों से रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा. इन इलाकों में यूक्रेन की मजबूती की वजह से ही रूसी सेना ने अपना ध्यान डोनबास और मारियोपोल इलाकों पर केंद्रित कर दिया. मई से अगस्त में रूस बहुत ही कम नए इलाकों पर कब्जा कर पाया. अगस्त और सितंबर में तो यूक्रेन ने जोरदार पलटवार किया और अपने कई इलाकों से रूसी सेना को खदेड़ दिया.
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हालांकि, अभी भी यूक्रेन के 1,16,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर रूस का कब्जा है. रूस ने जनमत संग्रह के बाद यूक्रेन के चार क्षेत्रों को अपना मान लिया है. अब दोनों ही देशों के सामने बड़ी चुनौती है. तमाम प्रतिबंधों को झेलते हुए भी रूस युद्ध से पीछे हटने के मूड में नहीं है. वहीं, तबाही की कगार पर खड़ा यूक्रेन भी यूरोप और अमेरिकी की मदद से अपने खोए हुए हिस्से को पाने के लिए जूझ रहा है.
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रूस की पकड़ हो रही कमजोर, नक्शे में देखिए कैसे हारकर भी जीत रहा है यूक्रेन