डीएनए हिंदी: जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का सीधे तौर पर तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन (Recep Tayyip Erdoğan) ने हमेशा समर्थन किया है. संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर उन्होंने यही मुद्दा उठाया लेकिन इस बार उन्होंने भारत पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा है कि यह मामला दोनों देशों को मिलकर ही हल करना होगा. उनके इस बयान के चलते यह माना जा रहा है कि इस बार एर्दोआन के सुर बदलने लगे हैं. 

दरअसल, तुर्की के राष्‍ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने संयुक्‍त राष्‍ट्र आम महासभा (UNGA) में एक बार फिर से कश्‍मीर पर बयान दिया है. उन्‍होंने कहा कि काफी दुख की बात है कि 75 साल बाद भी भारत और पाकिस्‍तान के बीच एक मजबूत शांति और स्थिरता का माहौल नहीं बन पाया है. इसके साथ ही उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि आने वाले दिनों में कश्‍मीर में शांति और सौहार्द का माहौल देखने को मिलेगा. 

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तुर्की के बदले सुर

हालांकि इस मामले में भारत ने स्पष्ट किया है कि भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप न किया जाए. इसके साथ ही भारत की तरफ से यह भी कहा गया है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. भले ही एर्दोआन ने एक बार फिर कश्मीर का मु्द्दा उठाया हो लेकिन एक यथार्थ यह भी है कि इस बार उनके सुर नर्म पड़ गए हैं.
 
एर्दोआन की इस बार की टिप्‍पणी से माना गया है कि वह अब अपने पिछले बयानों से हटकर कश्‍मीर पर एक नई रणनीति को अपना सकते हैं जिससे पाकिस्तान को दिक्कत हो सकती है. इसकी वजह यह है कि एर्दोआन जो पहले अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध कर रहे थे फिर साल 2020 में कश्मीर में प्रतिबंधों का विरोध कर रहे थे. उनका कहना था कि कश्मीर में आग लगने की वजह अनुच्छेद-370 का हटना ही है.

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वहीं पिछले साल भी एर्दोआन ने भारत के खिलाफ बोलते हुए यह कहा था कि कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र की मदद से ही हल हो सकता है. वे एर्दोआन जो पिछले लगभग 4 वर्षों से लगातार कश्मीर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हल करने की बात कर रहे थे, वहीं एर्दोआन अब यह कहने लगे हैं कि कश्मीर मु्द्दा भारत-पाकिस्तान स्वयं हल करें. इस बदलाव को मोदी सरकार (Modi Government) की कूटनीति की विजय माना जा रहा है. 

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भारत की कूटनीतिक जीत?

जब-जब एर्दोआन ने भारत और कश्मीर को लेकर कोई भी बयान दिया उसकी भारत द्वारा कड़ी आलोचनाएं की गईं जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तुर्की की छवि बिगड़ी. वहीं भारतीय विदेश मंत्री ने तुर्की के पड़ोसी देशों (इनके साथ तुर्की के बड़े विवाद हैं) ग्रीस और साइप्रस जैसे देशों के साथ रिश्ते मजबूत किए हैं जिसके चलते तुर्की को चौतरफा घिरने का खौफ सताने लगा है. इसके चलते ही यह मााना जा रहा है कि तुर्की अब भारत के लिए अपना रुख बदल रहे हैं जो कि भारत की कूटनीतिक जीत हो सकती है.

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Turkey started changing Kashmir issue effect Indian diplomacy against erdogan
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Kashmir मुद्दे पर बदलने लगे हैं तुर्की के सुर, क्या काम आ रही है भारतीय कूटनीति
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Turkey started changing Kashmir issue effect Indian diplomacy against erdogan
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Kashmir मुद्दे पर बदलने लगे हैं तुर्की के सुर, क्या काम आ रही है भारतीय कूटनीति?