सीरिया से स्वदेश लौटने वाले 75 भारतीयों में से पहले गाजियाबाद निवासी ने दमिश्क की भयावह स्थिति का जिक्र किया और मदद के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया. रवि भूषण ने ANI को बताया कि भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों को वापस घर लाने में मदद के लिए क्या प्रयास किए.
रवि ने आगे कहा, 'भारत ने बचाव अभियान शुरू कर दिया है और हम सीरिया से लोगों को बचाने वाली पहली टीम हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि उन्होंने हर एक व्यक्ति से संपर्क किया. वे उनका उत्साहवर्धन भी कर रहे थे और उनसे पूछ रहे थे कि क्या वे ठीक हैं.' भूषण ने एएनआई को बताया कि सीरियाई दूतावास उन्हें हर घंटे संदेश के माध्यम से यह जानकारी देता रहा कि बचाव अभियान के संबंध में वे कब और क्या करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा, 'अगर किसी को भोजन या किसी अन्य चीज से संबंधित कोई समस्या होती थी, तो वे उसका प्रबंध करते थे. हम भारत सरकार और लेबनान तथा सीरिया दोनों स्थानों पर स्थित भारतीय दूतावासों के बहुत आभारी हैं.'
'4-5 डिग्री तापमान में बैठे हैं महिलाएं और बच्चे'
अन्य देशों के लोगों की पीड़ा को देखकर भूषण ने महसूस किया कि भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयास बहुत अच्छे थे. भूषण ने कहा, 'हमने देखा कि दूसरे देशों के लोग किस तरह से परेशान थे. हमने छोटे बच्चों और महिलाओं को देखा कि कैसे उन्हें 4-5 डिग्री तापमान में 10-12 घंटे से अधिक समय तक बाहर बैठे थे. यह वास्तव में भयानक था, लेकिन भारत सरकार की वजह से हमें ऐसी किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा.'
हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के नेतृत्व में सीरियाई विद्रोहियों ने 27 नवंबर को देश में आक्रमण शुरू किया और इसके बाद दमिश्क पर नियंत्रण कर लिया और राष्ट्रपति बशर अल-असद को सीरिया से बाहर कर दिया.
'सीरिया में बदतर है स्थिति'
भूषण ने सीरिया की मौजूदा स्थिति को 'बदतर' बताया. वहां गहरी दहशत है. लोग खुलेआम सड़कों पर गोलीबारी कर रहे हैं, बमबारी कर रहे हैं, बैंकों को लूट रहे हैं. उन्होंने एयरपोर्ट को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया है. वे होटलों और हर जगह खड़ी सभी गाड़ियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, इसलिए वहां स्थिति अच्छी नहीं है. मैं कहूंगा कि आने वाले कुछ दिनों में वहां स्थिति और भी खराब होने वाली है.
गाजियाबाद निवासी कथित तौर पर व्यवसाय के उद्देश्य से सीरिया में था. उस समय, उसने कहा, वहां स्थिति ठीक थी और फिर अचानक विद्रोह शुरू हो गया. भूषण ने ANI को बताया, 'मैं कुछ व्यावसायिक कारणों से वहां गया था. उस समय स्थिति काफी ठीक थी. यहां तक कि हमारे ग्राहक ने भारतीय दूतावास से संपर्क किया और कहा कि वहां सब ठीक है, लेकिन 2-3 दिनों के बाद, अचानक चीजें बदल गईं. इसलिए हमें इस तरह की चीजों की उम्मीद नहीं थी.'
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लेबनान में भारतीय दूतावास के एक बयान में कहा गया है कि सीरिया से निकाले गए सभी 75 भारतीय नागरिक, जिनमें जम्मू और कश्मीर के 44 'जायरीन' शामिल हैं, जो सईदा जैनब में फंसे हुए थे, बुधवार को बेरूत पहुंच गए. पिछले हफ्ते असद का 24 साल का शासन खत्म हो गया, और सीरियाई लोग इस पल का जश्न मना रहे थे.
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Syria Crisis: 'खुलेआम सड़कों पर गोलीबारी, बमबारी, बैंकों की लूट...', सीरिया से लौटे पहले भारतीय ने बताई दमिश्क की भयावहता