डीएनए हिंदी: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe) को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई. जब उन्हें गोली मारी गई तो वह अपनी लिबरल डेमोक्रैटिक पार्टी (एलडीपी) के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे थे. चुनाव (Japan Elections) के लिए वोटिंग हो चुकी है और एग्जिट पोल्स भी सामने आ रहे हैं. एग्जिट पोल्स के हवाले से कहा जा रहा है कि सत्ताधारी एलडीपी को सहानुभूति का फायदा भी हो रहा है और उच्च सदन के लिए हुए चुनावों में वह सबसे आगे है. हालांकि, आपको यह भी बता दें कि जापान में उच्च सदन के पास ज्यादा कुछ खास ताकतें नहीं हैं.
जापानी मीडिया के मुताबिक, कुल 125 सीटों में से एलडीपी को 70 से 80 सीटों पर जीत हासिल हो सकती है. हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार एलडीपी को जीत भले ही हासिल हो जाए, शिंजो आबे के न होने से पार्टी कमजोर पड़ सकती है. आपको यह भी बता दें कि शिंजो आबे की अगुवाई में एलडीपी 1995 से ही जापान की सत्ता पर काबिज है.
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राजनीति पर क्या होगा असर?
जापान में पिछले कुछ सालों में ध्रुवीकरण की रानजीति ने तेजी से पैर पसारा है. समलैंगिकता के मुद्दे पर और लैंगिक समानता के मुद्दे पर शिंजो आबे रूढ़िवादी राय रखते थे. यही कारण था कि उनकी कट्टर राष्ट्रवादी राजनीति के चलते जापान में ध्रुवीकरण की राजनीति बढ़ती चली गई. शिंजो आबे को उनकी विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर संबंध बनाने वाले नेता के तौर पर जाना जाता रहेगा.
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शिंजो आबे पर कैसे हुआ हमला
इसी महीने की 8 जुलाई को शिंजो आबे एक चुनावी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. नारा सिटी में इस कार्यक्रम के दौरान एक शख्स ने शिंजो आबे के पीछे से गोली चला दी. शिंजो आबे को गोली लगी और वह उसी जगह पर गिरकर खून से लथपथ हो गए. उन्हें आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया लेकिन वह बच नहीं सके. आपको बता दें कि शिंजो आबे जापान के सबसे लंबे समय तक रहने वाले प्रधानमंत्री रहे थे.
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Shinzo Abe की हत्या के बाद जीत के करीब पहुंची उनकी पार्टी, जानिए कितनी बदलेगी जापान की राजनीति