डीएनए हिंदी: नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) ने युद्धग्रस्त देश यूक्रेन (Ukraine) से वादा किया है अब युद्ध में और घातक हथियार देगा. रूस के मिसाइल और ड्रोन हमलों से यूक्रेन के कई शहर तबाही की कगार पर पहुंच गए हैं. कई जगहों पर एनर्जी प्लांट जर्जर हो चुके हैं. नाटो ने कहा है कि अब क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचों को दुरुस्त करने के लिए 30 देशों का यह संगठन आगे आएगा. यूक्रेन पर नाटो की दरियादिली, रूस का गुस्सा भड़का सकती है. ऐसा हो सकता है कि अब व्लादिमीर पुतिन की सेनाकीव, खारकीव, मारियुपोल, बर्डियांस और खेरसॉन जैसे महत्वपूर्ण शहरों पर हमले तेज कर सकती है.
बुखारेस्ट में एक शिखर सम्मेलन के दौरान नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा है कि रूस मौसम को अब हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है. यूक्रेन की एक बड़ी आबादी इस हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में सड़कों पर है. यूक्रेन में पानी के ज्यादातर स्रोत जम गए हैं और बड़े हिस्से में बिजली आपूर्ति ठप्प है. ऐसी स्थिति में रूस के हमलों का प्रतिकार करना यूक्रेन पर भारी पड़ रहा है. यूक्रेन नाटो से एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम मांग रहा है, जो मिल नहीं रहा है.
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जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने मंगलवार को यूक्रेन के प्रति सैन्य गठबंधन की प्रतिबद्धता की बात दोहराई है. उन्होंने यह भी वादा किया है कि यूक्रेन एक दिन दुनिया के सबसे बड़े सुरक्षा संगठन NATO का सदस्य बनेगा. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और नाटो के नेता रोमानिया में यूक्रेन की मदद के लिए आगे आए थे. नाटो का कहना है कि रूस, यूक्रेन को हरा नहीं पाया है.
रूसी सैनिकों ने यूक्रेन में किया है नरसंहार
जर्मनी के कानून मंत्री मार्को बुशमैन ने कहा हैकि यूक्रेन में हुए अत्याचारों पर अगर जांच बिठाई जाए तो कई साल इस प्रक्रिया में लग सकते हैं. हम जांच करेंगे. 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया था. रूस ने कहा था कि अगर नाटो में यूक्रेन शामिल होता है तो हम सुरक्षात्मक तौर पर कड़े फैसले ले सकते हैं. यूक्रेन तबाह ही नाटो के झांसे में हुआ है.
क्या ठनेगा तीसरा विश्वयुद्ध?
अगर नाटो खुलकर यूक्रेन के समर्थन में उतरेगा और संगठन में शामिल करेगा तो भीषण युद्ध छिड़ सकता है. नाटो 30 ताकतवर देशों का सैन्य संगठन है. नाटो के किसी भी सदस्य देश पर कोई दूसरा देश हमला करता है तो ये सदस्य देश उस पर मिलकर हमला कर देते हैं. ऐसी स्थिति में रूस को कई देशों से निपटना पड़ सकता है. रूस इसलिए ही चाहता है कि यूक्रेन कभी नाटो का सदस्य देश न बने. यूक्रेन में मौजूदा संकट की सबसे बड़ी वजह भी नाटो के प्रति झुकाव है. रूस चाहता है कि यूक्रेन, नाटो से उचित दूरी बनाकर रखे. नाटो सैनिक अभी यूक्रेन में सक्रिय युद्ध नहीं छेड़ रहे हैं.
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यह स्थिति जब तक बनी है, केवल तभी तक विश्वयुद्ध रुका है. जैसे ही नाटो के सैनिक यूक्रेन की तरफ से लड़ने आए, वैश्विक तौर पर अलग-थलग पड़े रूस की नाराजगी सबको झेलनी पड़ सकती है. रूस का रुख दुनिया के लिए इसलिए भी अच्छा नहीं है क्योंकि वह कई मौकों पर जाहिर कर चुके हैं कि अगर उनकी सीमाओं, उनके कब्जाए इलाकों पर कोई हमला करता है तो वे परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकेंगे.ऐसी स्थिति में अगर रूस पर सामूहिक हमला होता है तो व्लादिमीर पुतिन परमाणु हथियार का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
NATO के सदस्य देशों का उकसावा कहीं यूक्रेन को तबाह न कर दे
यूक्रेन, खंडहरों का शहर बन गया है. कई प्रमुख शहरों में पानी और बिजली सप्लाई बाधित है. खुद NATO यह दोहरा चुका है कि यूक्रेन के नागरिक एनर्जी ग्रिड पर लगातार हमलों की वजह से लाखों लोग बुनियादी जरूरतों से दूर हो चुके हैं. अब नाटो ने यूक्रेन को यह आश्वासन दिया है कि एनर्जी सेक्टर में मरम्मत करने के लिए टीमें भेजी जाएंगी. नाटो यूक्रेन को एयर डिफेंस सिस्टम भी देगा.
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भले ही व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन को पूरी तरह से जीत नहीं पाए हैं लेकिन उन्होंने तबाह जरूर कर दिया है. हाल के दिनों में ऐसी मानव जनित त्रासदी किसी देश ने नहीं देखी है, जैसी स्थिति यूक्रेन में बन पड़ी है. अपनी सुरक्षा करने के लिए यूक्रेन को हथियारों की जरूरत है, जिसकी आपूर्ति करने की प्रतिबद्धता नाटो ने दोहराई है.
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नाटो के सदस्यों देशों के इरादे रूस को लेकर बेहद स्पष्ट हैं. एस्टोनियाई विदेश मंत्री उर्मस रेनसालु का एक बयान सुर्खियों में है, जब उन्होंने दोहराया कि यूक्रेन को ऐसी मिसाइलें देने की जरूरत है जो रूसी क्षेत्र के अंदर मार कर सकें. अगर ऐसा होता है तो रूस चुप बैठने वाला नहीं है.
NATO यूक्रेन को उकसा तो रहा है लेकिन क्या सच में देगा हथियार?
अक्सर सार्वजनिक मंचों से नाटो यह कहता रहा है कि यूक्रेन को वह घातक हथियार नहीं दे रहा है. नाटो ने इस बात से भी इनकार किया है कि वह लंबी दूरी की मिसाइलों और दूसरे हथियार सौंप रहा है. नाटो के मौजूदा इरादे यूक्रेन की मुश्किल बढ़ा सकते हैं क्योंकि रूस, अपनी रणनीतिक तैयारी तेज कर सकता है. टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल के आरोप उस पर पहले से लगते रहे हैं. पहले ही दबाव बनाने के लिए रूस, यूक्रेनी शहरों पर मिसाइल हमले तेज कर सकता है.
बिजली-पानी को तरस रहे यूक्रेनी, जिम्मेदार कौन?
यूक्रेन, अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. सर्दियों का मौसम, यूक्रेन के लिए और बुरा बनकर आया है. इलेक्ट्रिसिटी ऑपरेटर यूक्रेनर्गो का कहना है कि यूक्रेन के 30 फीसदी बिजली की जरूतें नहीं पूरी हो पा रही हैं. प्रमुख स्रोतों में पानी जम चुका है. जगह-जगह बर्फबारी हो रही है. तापमान शून्य से बहुत नीचे है. हेल्थ एक्सपर्ट्स दावा कर रहे हैं कि यूक्रेन में लोग हाइपोथर्मिया से मर सकते हैं. अब, नाटो के नए बयानों से यूक्रेन में हालात और खराब हो सकते हैं.
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यूक्रेन वार में नाटो के उतरने से कहीं छिड़ न जाए विश्व युद्ध? कैसे बन रहे हैं समीकरण