डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के युद्ध (Russia-Ukraine War) की वजह से दुनियाभर के देशों को समस्याएं हुईं. किसी को अनाज से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा तो किसी ने कई अन्य ज़रूरी चीजों का संकट झेलना पड़ा. इस सबकी वजह से महंगाई भी तेजी से बढ़ी. दूसरी तरफ, इसी युद्ध की वजह से ही भारत को बड़ा फायदा भी हुआ. भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान कम दाम पर रूस से खूब कच्चा तेल (Crude Oil) खरीदा. यूरोपीय देशों की ओर से प्रतिबंध झेल रहा रूस तेल की सप्लाई नहीं कर पा रहा था. इस वजह से उसने तेल की कीमतें कम कर दीं. भारत ने इसी का फायदा उठाया और जमकर कच्चा तेल खरीदा और इसके लिए उसे कम पैसे भी खर्च करने पड़े.
इसी साल फरवरी महीने में रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. इस हमले का विरोध करते हुए अमेरिका के साथ-साथ यूरोप के कई देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए. रूस ने जब अपने कच्चे तेल की कीमतें घटाईं तो यह सऊदी अरब के कच्चे तेल से सस्ता हो गया. मई में तो इसकी कीमत 19 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई. यहीं भारत को अपना मौका दिखा.
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85 फीसदी तेल का आयात करता है भारत
ज्यादातर अरब देशों से तेल खरीदने वाले भारत ने रूस से तेल का आयात बढ़ा दिया. इसका नतीजा यह रहा कि भारत को तेल बेचने वाले देशों में रूस दूसरे नंबर पर आ गया. भारत को क्रूड ऑयल बेचने के मामले में इराक अभी भी नंबर एक पर है. आपको बता दें कि भारत अपनी तेल संबंधी ज़रूरतों का 85 फीसदी हिस्सा आयात करता है.
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आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने अप्रैल-जून की तिमाही में कुल 47.5 बिलियन डॉलर के तेल का आयात किया. पिछले साल इसी तिमाही में भारत ने सिर्फ़ 25.1 अरब डॉलर का ही तेल खरीदा था. साफ है कि कोरोना महामारी का असर कम होने के बाद अर्थव्यवस्था खुली है और मांग में इजाफा हुआ है. भारत में मांग को पूरा करने में सबसे अहम योगदान रूस का ही रहा. जहां एक समय पर रूस से होने वाली सप्लाई 9वें नंबर पर थी, वह बढ़कर दूसरे नंबर पर पहुंच गई.
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Russia-Ukraine के युद्ध में भारत के लिए 'मौका-मौका', जानिए सस्ते में मिला तेल तो कितना खरीद लिया