डीएनए हिंदी: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी महाशक्ति रूस (Russia) बेहद कमजोर देश यूक्रेन (Ukraine) से युद्ध के 200 से ज्यादा दिन बीत जाने के बाद भी नहीं जीत सका है. रूस के हमले में यूक्रेन तबाह हो चुका है, आधी आबादी पलायन कर चुकी है लेकिन सेना ने घुटने नहीं टेके हैं. यूक्रेन, रूस के लिए आज भी अजेय बना हुआ है. रूसी सेना के पलायन से लग रहा है कि यूक्रेन जंग जीत रहा है.
24 फरवरी को जब दोनों देशों के बीच जंग की शुरुआत हुई थी तब किसी ने सोचा नहीं था कि यह युद्ध इतने दिनों तक खिंचेगा. सबको उम्मीद है थी कि यूक्रेन ज्यादा से ज्यादा 10 दिनों के अंदर सरेंडर कर देगा. यूक्रेन अभेद्य दुर्ग की तरह खड़ा रहा. कीव से लेकर खारकीव तक रूसी तोपों ने शहरों को तबाह कर दिया लेकिन जीत हासिल नहीं हुई. प्रतिरोध के स्वर कमजोर नहीं पड़े.
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पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियां अब दावा कर रही हैं कि इस युद्ध में रूस को गंभीर सैन्य और आर्थिक क्षति पहुंची है. रूसी हथियार बुरी तरह तबाह हुए हैं और व्लादिमीर पुतिन के महत्वाकांक्षी अभियान का हासिल कुछ नहीं हुआ है.
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यूक्रेन का दावा है कि जो अनुमान जताए जा रहे हैं उससे कहीं ज्यादा तबाही रूस ने झेली है. हजारों सैनिक मारे गए हैं वहीं रूस के हथियारों की भी भीषण बर्बादी हुई है. यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान रूसी सेना के कम से कम 10 जनरल मारे गए हैं. अमेरिकी रक्षा विभाग के मुताबिक यूक्रेन वॉर में रूस के 80,000 सैनिक या तो मार दिए गए हैं या गंभीर रूप से घायल हो गए हैं.
यूक्रेन से जंग में तबाह हो गई रूस की सेना
दुनिया भर में सैन्य उपकरणों के नुकसान पर नज़र रखने वाली एक ओपन सोर्स साइट ओरिक्स ने दावा किय है कि रूस-यूक्रेन वॉर में करीब 5,887 रूसी वाहनों और सैन्य उपकरण तबाह हुए हैं. ये या तो क्षतिग्रस्त हो गए हैं, या यूक्रेनी सेना के कब्जे में आ गए हैं.
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ओरिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के 1,029 टैंक लापता हैं. 637 टैंक नष्ट हो गए हैं. 43 टैंक क्षतिग्रस्त हैं. 51 टैंकों को छोड़कर रूसी सेना चली गई है. 299 टैंक यूक्रेनी सैनिकों के कब्जे में हैं. यूक्रेन के सुरक्षाबलों का दावा है कि रूस पहले ही 2,122 टैंक खो चुका है. रूस ने अभी तक य नहीं बताया है कि उसका कितना नुकसान नहीं हुआ है.
यूक्रेन छोड़कर भागने लगी है रूसी सेना
रूसी सेना को जंग में अब तक कुछ भी हासिल नहीं हुआ है. जहां कब्जा जमाते हैं, यूक्रेनी सेना दोबारा उस पर कब्जा जमा लेती है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने भी यह कह है कि रूसी सेना उनके देश के जवाबी हमले से भागकर एक अच्छा निर्णय ले रही है. यूक्रेनी सेना का दावा है कि इस युद्ध को वे जीत चुके हैं. उत्तर-पूर्व यूक्रेन में रूसी सेना के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में कीव को बड़ी सफलता मिली है. यूक्रेनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओलेह निकोलेंको ने बताया कि यूक्रेनी सैनिकों ने पूर्वी यूक्रेन के कुपियांस्क शहर को फिर से अपने नियंत्रण में ले लिया है.
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निकोलेंको ने एक तस्वीर ट्वीट की है, जिसमें यूक्रेन की 92वीं सेपरेट मैकेनाइज्ड बटालियन के सैनिकों को वहां दिखाया गया है. रूस के रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को घोषणा की कि वह यूक्रेन के पूर्वी खारकीव क्षेत्र के दो क्षेत्रों से सैनिकों को वापस बुला रहा है. रूसी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इगोर कोनाशेनकोव ने कहा कि बलाकलिया और इजियम क्षेत्रों से पूर्वी दोनेत्स्क क्षेत्र में सैनिकों को फिर से इकट्ठा किया जाएगा.
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क्या हार से परेशान रूस करेगा बमबारी?
महाशक्ति होने के बाद भी मिल रही लगातार हार से रूस बौखलाहट में है. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि अब रूस यूक्रेन पर दोबारा भीषण बमबारी शुरू कर सकता है. रूसी सेना ने एक दिन में यूक्रेन के सूमी ओब्लास्ट के पांच गांवों पर बमबारी की है. सुमी ओब्लास्ट सैन्य प्रशासन के प्रमुख दिमित्रो झीवित्स्की ने कहा कि इन हमलों में कोई हताहत नहीं हुआ है हालांकि कुछ इमारतों को नुकसान जरूर पहुंचा है. दूसरी तरफ रूसी सेना ने मायकोलियाव शहर पर बमबारी की है, जिसमें 9 लोग घायल हो गए हैं और कई इमारतें भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं. आने वाले दिनों में ये हमले और तेज हो सकते हैं.
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क्या अमेरिका की वजह से यूक्रेन मजबूत रहा यूक्रेन का हौसला?
रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस वैश्विक तौर पर अलग-थलग पड़ गया है. पश्चिमी देश एकजुट होकर यूक्रेन का साथ दे रहे हैं. नाटो देश मिलकर हथियार दे रहे हैं. कई यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को बड़ी मात्रा में सैन्य हथियार और आर्थिक मदद दी है. कहीं से तोप, कहीं से बम तो कहीं से एयर डिफेंस सिस्टम यूक्रेन को हमेशा मिलता रहा है. अमेरिका खुलकर यूक्रेन के साथ हो गया है. ऐसे में यूक्रेन का अजेय होना असंभव नहीं है. रूस इसी वजह से भी हार का सामना कर रहा है.
गैस प्राइस और दूसरी वजहें कितनी जिम्मेदार?
रूस पश्चिमी देशों को गैस सप्लाई नहीं दे रहा है. गैस की सप्लाई से अर्जित धन रूस की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है. रूस दुनिया भर में नैचुरल गैस का सबसे बड़ा निर्यातक है रूस-यूक्रेन वॉर से पहले यूरोपीय देश करीब 40 फीसदी गैस रूस से ही खरीदते थे. वहीं यूरोप को 30 फीसदी तेल की सप्लाई भी रूस से होती थी. इन उत्पादों की सप्लाई बंद होने से रूस को घाटा लगा है. रूस तमाम आर्थिक प्रतिबंध भी यूक्रेन वॉर की वजह से झेल रहा है. ऐसे में अब रूस को लगने लगा है कि वैश्विक पाबंदियां अगर लगातार बढ़ती रहीं तो अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी. रूसी सैनिकों को पीछे हटने की एक वजह यह भी है.
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कितने दिन तक और जारी रहेगी महंगाई?
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने अपनी एक रिपोर्ट कहा है कि दुनिया में बढ़ रही महंगाई के पीछे रूस-यूक्रेन युद्ध भी जिम्मेदार है. युद्ध के बाद खाद्य उत्पाद महंगे हो गए हैं. फूड और एनर्जी प्रोडक्ट्स के दाम में हुए इजाफे की वजह से दुनियाभर में करीब 7.1 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं. यह युद्ध अब धीरे-धीरे खत्म होता नजर आ रहा है. इस युद्ध के परिणाम बेहद भयावह साबित हुए हैं. दुनिया में इस युद्ध का असर कब तक रहेगा, यह भविष्य ही बताएगा.
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यूक्रेन से जंग क्यों हार रहा है रूस, कौन सी वजहें हैं जिम्मेदार, दुनिया पर क्या पड़ा युद्ध का असर?