डीएनए हिंदी: पाकिस्तान के पेशावर की मस्जिद में नमाज के ब्लास्ट की घटना ने लोगों को हिला कर रख दिया है. इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी टीटीपी यानी तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान नाम के संगठन ने ली है. आतंकी हमले में अब तक 150 से ज्यादा लोगों के घायल होने पर 63 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है लेकिन इस घटना ने पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ किए हैं क्योंकि जहां धमाका हुआ वह एक बेहद हाई सिक्योरिटी इलाका माना जाता है और वहां बड़ी संख्या में पुलिस और सुरक्षा बलों के जवान मौजूद रहते हैं.
दरअसल, यह घटना सोमवार को लगभग 1.40 बजे की है. पेशावर के बेहद सुरक्षित माने जाने वाले इलाके में एक मस्जिद खचाखच भरी हुई थी. दोपहर के बाद का नमाज जोहर चल रहा था. यहां उस दौरान बड़ी संख्या में नागरिकों के साथ पुलिस, सैन्य बल और बम स्कॉड के अधिकारी भी थे. लोग लाइन से नमाज पड़ रहे थे और सबसे आगे शख्स ने इस दौरान फिदायीन विस्फोट कर दिया और परखच्चे उड़ने के साथ ही उसकी मौत हो गई.
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पुलिस और सेना के जवान थे टारगेट
रिपोर्ट्स के मुताबिक हमलावर पुलिसकर्मियों और सुरक्षा अधिकारियों को निशाना बनाना चाहते थे. मरने वालों में ज्यादातर पुलिसकर्मी और सुरक्षाकर्मी ही शामिल हैं. पाकिस्तानी सेना ने ही टीटीपी कमांडर उमर खालिद खुरासनी को मारा था. अब उसके भाई ने दावा किया कि ये हमला उसकी भाई की हत्या का बदला था.
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रिहायशी माना जाता है यह इलाका
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि मस्जिद का एक हिस्सा धंस गया है और कुछ लोगों के मलबे के अंदर होने की आशंका है. पाकिस्तान की एजेंसियां अभी राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं. हमले के बाद पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए हैं क्योकि ब्लास्ट साइट के नजदीक ही पेशावर पुलिस का मुख्यालय है, आतंकवाद रोधी विभाग का दफ्तर भी यही है. इसके अलावा फ्रंटियर रिजर्व पुलिस और एलीट फोर्स, टेलिकॉम डिपार्टमेंट का दफ्तर भी इसी मस्जिद के पास हैं.
कैसे तोड़ी चार लेयर की सुरक्षा
इसके अलावा सामने यह भी आया है कि मस्जिद में एंट्री के लिए भी चार लेयर की सुरक्षा थी बावजूद इसके सुरक्षा एजेंसियों को झांसा देकर फिदायीन मस्जिद में सबसे आगे जाकर खड़ा हो गया. इस हमले को लेकर पुलिस ऑफिसर मुहम्मद इजाज खान ने कहा है कि कई जवान भी अभी मलबे के नीचे हैं उन्हें निकालने की कोशिश की जा रही है. जब धमाका हुआ तो उस समय इलाके में 300 से 400 पुलिस अधिकारी मौजूद थे.
बता दें कि 2007 में कई आतंकी संगठनों ने एक साथ मिलकर TTP की स्थापना की थी. इस संगठन ने हाल ही में पाकिस्तान सरकार के साथ संघर्षविराम को खत्म कर दिया और अपने सदस्यों को पूरे पाकिस्तान में आतंकी हमले करने को कहा. तब से पाक सेना और टीटीपी के बीच टकराव जारी है.
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हाई सिक्योरिटी मस्जिद में कैसे हुआ फिदायीन धमाका, TTP ने एक झटके में बिछा दीं 63 लाशें