डीएनए हिंदी: नेपाल में स्थिर सरकार एक सपने के जैसे हो गई है. पिछले 14 सालों में नेपाल में 10 बार सरकारें बदली हैं. नए चुनाव के नतीजे (Nepal Election Results) ऐसे आए हैं जिन्हें देखकर लगता है कि एक बार फिर से नेपाल में खिचड़ी सरकार (Nepal Government) ही बनेगी. अभी तक के नतीजों के मुताबिक, शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस को 53 सीटों पर और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (UML) को 42 सीटों पर जीत हासिल हुई है. नेपाल में कुछ सीटों पर फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम और कुछ सीटों पर रेप्रेजेंटेशनल सिस्टम से वोटिंग होती है.
नेपाल की संसद में कुल 275 सीटें हैं. इनमें से 165 सीटों पर फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम का पालन होता है यानी ज्यादा वोट पाने वाले को विजेता घोषित किया जाता है. बाकी की 110 सीटों पर भारत के राष्ट्रपति चुनाव की तरह समानुपातिक व्यवस्था से चुनाव होते हैं. नेपाल में संसद और सात प्रांतीय सभाओं के लिए एकसाथ चुनाव हुए हैं.
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नेपाल में कौन बनाएगा सरकार?
अभी तक के नतीजों के मुताबिक, डायरेक्ट वोटिंग वाली सीटों में नेपाली कांग्रेस आगे चल रही है जबकि रेप्रेजेंटशनल वोटिंग वाली सीटों पर केपी शर्मा ओली की नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी आगे चल रही है. केपी शर्मा ने दक्षिणपंथी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और मधेस की समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया है. अभी तक जितनी सीटों के नतीजे आए हैं उससे यह साफ है कि कोई भी पार्टी अपने दम पर सरकार बनाने में सक्षम नहीं है.
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हर पार्टी की ओर से कोशिश हो रही है कि सत्ता पर वह काबिज हो सके. केपी शर्मा ओली, शेर बहादुर देउबा के अलावा नेपाली कांग्रेस के नेता रामचंद्र पौडेल भी खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार मान रहे हैं. इसके लिए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल से मुलाकात भी की और खुद के लिए समर्थन मांगा. रोचक बात यह है कि खुद माधव नेपाल भी पीएम बनने की रेस में शामिल हैं.
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नेपाल चुनाव में किसी को नहीं मिला बहुमत, अब कौन बनाएगा सरकार? केपी ओली या शेर बहादुर देउबा