डीएनए हिंदी: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने 1 अगस्त को पूरी दुनिया को जानकारी दी कि उनकी सेना ने अल-कायदा (Al-Qaeda) के चीफ अयमान अल जवाहिरी (Ayman al-zawahiri) को एक ड्रोन हमले (Drone Attack) में मार गिराया है. जवाहिरी को अफगानिस्तान (Afganistan) की राजधानी काबुल (Kabul) के एक रिहाइशी इलाके में हेलफायर नाम की मिसाइल से मौत के घाट उतारा गया.
हालांकि एक ताजा बयान में तालिबान ने जवाहिरी की मौत के बारे में जानकारी होने से इंकार किया है. तालिबान के मुताबिक, काबुल के वजीर अकबर खान इलाके के एक मकान को मिसाइल ने निशाना बनाया गया, लेकिन वहां पर किसी की मौत नहीं हुई है. साथ ही तालिबान ने इस बात की नाराजगी भी जताई कि अमेरिका ने दोहा समझौते का उल्लंघन किया है.
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क्या पाकिस्तान ने घोंपा जवाहिरी की पीठ में खंजर
अमेरिका ने तो जवाहिरी को मारने का दावा ठोक दिया और माना भी यह जा रहा है कि जवाहिरी मर चुका है, क्योंकि अभी तक इसको लेकर अल-कायदा का कोई बयान सामने नहीं आया है. ऐसे मौकों पर आतंकी संगठन किसी खबर का खंडन करने में देरी नहीं करते हैं . इससे उनके कैडर पर बुरा असर पड़ता है और संगठन को मिलने वाली फंडिंग पर भी खासा असर पड़ता है.
जवाहिरी तो मारा गया है लेकिन चर्चा इस बात पर हो रही है कि जवाहिरी का पता-ठिकाना अमेरिकियों को किसने दिया. हालांकि अमेरिका की तरफ से दावा किया गया कि उसकी इंटेलिजेंस ने ये काम किया है, लेकिन माना जा रहा है कि असल में या तो खुद तालिबान या फिर पाकिस्तान ने इस काम में अमेरिकियों की मदद की है.
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पाकिस्तान (Pakistan) शक के घेरे में ज्यादा इस वजह से है, क्योंकि अफगानिस्तान पर कब्जे से पहले जवाहिरी उनके देश में ही खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) की मदद से रह रहा था. उस वक्त पाकिस्तानी जवाहिरी का पता अमेरिका को इस वजह से नहीं दे सकते थे, क्योंकि अगर जवाहिरी भी किसी ऑपरेशन में पाकिस्तान में मारा जाता तो एक बार फिर दुनिया के नक्शे पर पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देने वाला देश बनकर उभरता. इस फजीहत से पाकिस्तान बचना चाहता था, लिहाजा जवाहिरी के पाकिस्तान से अफगानिस्तान जाते ही पाकिस्तान ने उसके खात्मे की चाल चल दी.
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जवाहिरी की मौत से पाकिस्तान को फायदा
अब सवाल यह है कि जवाहिरी के मरने से पाकिस्तान को क्या हासिल होगा तो यहां बताते चलें कि पाकिस्तान की माली हालत बेहद खराब है. लंबे वक्त से पाकिस्तान IMF (International Monetary Fund) से देश चलाने के लिए पैसे मांग रहा है. IMF पूरी तरह अमेरिका के इशारे पर काम करता है, जवाहिरी का पता बताकर पाकिस्तान ना केवल IMF से जल्द लोन पा सकता है बल्कि सितंबर में निरीक्षण के लिए पाकिस्तान आने वाली FATF की टीम को भी खुश कर सकता है. यही दल तय करेगा कि पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में रहेगा या नहीं. अगर पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में रहता है तो उसकी गिर रही अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लग सकता है और पाकिस्तान अगला श्रीलंका भी बन सकता है.
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पाकिस्तान की खराब अर्थव्यवस्था का दोष अमेरिका पर
इमरान खान बार-बार यही आरोप लगा रहे हैं कि उनकी सरकार गिराने में अमेरिका का हाथ है और शहबाज सरकार अमेरिका के करीब हैं. पिछले साल से ही फौज के रिश्ते इमरान खान से खराब हो रहे थे क्योंकि इमरान खान अपने कई बयानों में अमेरिका के खिलाफ बयानबाजी कर चुके थे. फौज के इशारे पर ही इमरान खान को चलता किया गया, फौज को भी खैरात में अमेरिका से डॉलर मिलते थे, लेकिन अमेरिका से खराब संबंधों की वजह से भी फौज की यह पाइपलाइन सूख गई थी. पाकिस्तान जनरलों को भी डॉलर चाहिएं और इसी वजह से वो अमेरिका से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे. जवाहिरी का इस्तेमाल कर वो अमेरिका के करीब आ सकते हैं और उन्होंने कुछ ऐसा ही किया.
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कहां से उड़ा जवाहिरी को मारने वाला ड्रोन
पाकिस्तान पर शक की कई वजह हैं उनमें से एक वजह यह भी है कि जिस ड्रोन हमले में जवाहिरी मारा गया वो ड्रोन आखिर कहां से उड़ा था. अफगानिस्तान से लगने वाले मध्य एशियाई देश अमेरिका से ज्यादा रूस के करीब हैं क्योंकि वो सोवियत संघ का हिस्सा रहे हैं. ऐसे में वो अमेरिका को इस्तेमाल के लिए अपने सैन्य अड्डे नहीं दे सकते हैं, ईरान और अमेरिका के संबंधों को देखते हुए ईरान से ड्रोन हमले का सवाल ही नहीं उठता. ये सार जोड़ घटाव के बाद बचता है पाकिस्तान जहां से ड्रोन उड़ने की पूरी संभावना है. पाकिस्तान ने ही अमेरिका को अड्डा दिया होगा जहां से ये ड्रोन उड़ा और उसने जवाहिरी को मौत के घाट उतार डाला.
किस देश के आसमान से होकर ड्रोन पहुंचा काबुल
चलिए एक बार को मान भी लिया जाए कि पाकिस्तान ने अमेरिका को ड्रोन उड़ाने के लिए कोई अड्डा नहीं दिया. यह भी मान लीजिए कि किसी अमेरिकी वॉरशिप से यह ड्रोन उड़ा और उसने जवाहिरी को मार गिराया, तो वहां पर भी पाकिस्तान के आसमान का इस्तेमाल कर ड्रोन अफगानिस्तान पहुंचा और फिर जवाहिरी को मारने के बाद पाकिस्तानी आसमान के रास्ते ही वापस वॉरशिप पर पहुंच गया यहां पर भी घेरे में पाकिस्तान ही है कि उसने कैसे अपने air space में अमेरिकी ड्रोन को उड़ने की इजाजत दे डाली.
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