Iran Israel Conflict: इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है. 1 अक्टूबर को ईरान ने इजरायल पर हमला किया था, जिसके बाद इजरायल ने इसकी कड़ी प्रतिक्रिया देने की बात कही है. हालांकि, अब तक इजरायल की ओर से कोई प्रत्यक्ष कार्रवाई नहीं हुई है और यही देरी अब सवाल खड़े कर रही है.
अमेरिका ने इस मुद्दे पर नहीं जताया समर्थन
विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल का हमला सीधे तौर पर मिडिल ईस्ट में बड़े संघर्ष की शुरुआत कर सकता है. यही कारण है कि इजरायल की प्रतिक्रिया में सावधानी बरती जा रही है. एक बड़ी वजह यह भी है कि अमेरिका और अरब देशों ने इस मुद्दे पर इजरायल का बिल्कुल समर्थन नहीं किया है. अमेरिका ने इजरायल को साफ तौर पर चेतावनी दी है कि वह ईरान के परमाणु ठिकानों पर सीधा हमला न करे. इसके अलावा, जॉर्डन, सऊदी अरब, और कतर जैसे देशों ने अपने हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करने पर भी रोक लगा दी गई है, ताकि वे संघर्ष से बाहर रह सकें.
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कानी की गिरफ्तारी ने नए विवाद को दिया जन्म
ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करना इजरायल के लिए आसान नहीं है. ईरान ने अपने परमाणु ठिकानों को भूमिगत बना रखा है, जिससे उन पर हमला करना जटिल हो गया है. साथ ही, अगर यह हमला असफल होता है, तो ईरान के जवाबी हमलों का खतरा भी बढ़ जाएगा, जिससे मिडिल ईस्ट में युद्ध छिड़ सकता है. इस बीच, इजरायल ने अपने विरोधी संगठनों के बड़े नेताओं को निशाना बनाया है. इजरायल की कार्रवाई के बाद ईरान ने अपने टॉप कमांडर इस्माइल कानी को हिरासत में लिया है, क्योंकि उन्हें शक है कि कानी ने इजरायल को गोपनीय जानकारियां दी है. कानी की इस गिरफ्तारी ने ईरान में एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. वहीं विश्लेषकों का मानना है कि इजरायल की यह सतर्कता एक बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकती है. इजरायल की ओर से "याद रखने लायक पलटवार" की धमकी ने अनिश्चितता बढ़ा दी है.
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अरब देशों का साथ नहीं, अमेरिका भी पीछे, ईरान के खिलाफ इजरायल के एक्शन में देरी की वजह?