डीएनए हिंदी: मछली के व्यापार के लिए मिलने वाली सब्सिडी (Fisheries Subsidy) खतरे में है. विश्व व्यापार संगठन (WTO) की ग्लोबल डील के मुताबिक, विकासशील देशों को मिलने वाली इस तरह की सब्सिडी 'नुकसानदायक' है और इसे कम करना होगा. भारत ने मंत्री स्तर की कॉन्फ्रेंस (MC12) में डब्ल्यूटीओ के इस प्रस्ताव के खिलाफ कड़ा एतराज जताया है. केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अपने बयान में कहा है कि यह स्वीकार्य नहीं है. भारत ने यह भी साफ किया है कि वह देश के हजारों-लाखों मछुआरों के भविष्य के साथ इस तरह का समझौता नहीं कर सकता.

पीयूष गोयल ने ट्वीट करके कहा, 'WTO की MC12 मीटिंग में हमने अनुरोध किया है कि मछुआरों की सब्सिडी के लिए जारी बहस का नतीजा ऐसा हो कि छोटे स्तर के मछुआरों और कुटीर उद्योगों को समान मौके और व्यापार का एक बराबर स्तर मिले. पूरी दुनिया में यही लोग मछली के कारोबार की रीढ़ हैं.'

यह भी पढ़ें- Russia-Ukraine War: युद्ध खत्म करवाने के लिए अब चीन ने ली एंट्री, पुतिन से फोन पर की बात

भारत की मांग क्या है?
उन्होंने आगे कहा, 'भारत ने ट्रांजीशन पीरियड की अवधि 25 हमारे लिए बेहद ज़रूरी है. बिना इस पर सहमति बने हमारे लिए इन समझौतों पर आखिरी निर्णय ले पाना मुश्किल होगा.' गोयल ने कहा कि लंबे समय के के लिए कम आय वाले मछुआरों की प्रगति के लिए यह बेहद ज़रूरी है. यही कारण है कि भारत इसका विरोध कर रहा है और यह किसी भी कीमत पर हमें स्वीकार नहीं है.

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत को 25 साल के लिए सब्सिडी देने की छूट चाहिए. इस दौरान विकसित देशों के मछुआरों को मिलने वाली सब्सिडी बंद की जानी चाहिए. तब जाकर लेवल प्लेयिंग फील्ड तैयार होगा. उनके मुताबिक, भारत प्रति मछुआरा सिर्फ 15 डॉलर की सब्सिडी देता है जबकि डेनमार्क जैसे देश सालाना 75,000 डॉलर, स्वीडन 65,000, कनाडा 21,000, जापान 7,000 अमेरिका 4000 डॉलर से अधिक प्रति मछुआरा सब्सिडी देते हैं.

यह भी पढ़ें- President Election: बीजेपी-कांग्रेस नहीं तय कर पाई नाम, 'लालू यादव' समेत 11 लोगों ने भरा पर्चा

मछुआरों को मिलती हैं कई सुविधाएं
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मछली पालन और उसके कारोबार के लिए सब्सिडी के तौर पर डीजल के बिक्री टैक्स में छूट, मछली पकड़ने पर प्रतिबंध के दौरान मछुआरों को वित्तीय सहायता, नए जाल और नावों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता, समुद्री बुनियादी ढांचे के विकास के अलावा जीवन रक्षक जैकेट और नेविगेशन सिस्टम में भी मछुआरों को मदद दी जाती है.

क्या है WTO का प्रस्ताव
WTO के प्रस्ताव के मुताबिक, विकासशील देश गरीब, कमजोर, कम इनकम वाले और ऐसे मछुआरे, जिनके पास संसाधनों की कमी है और जिनकी आजीविका कम है, उन्हें मछली पकड़ने में सब्सिडी तो दी जा सकती है लेकिन सिर्फ 12 से 24 समुद्री मील तक ही. इतनी सीमा रेखा के अंदर मछुआरे काफी कम मछली पकड़ पाते हैं. भारत समेत विकासशील देशों की मांग है कि इस सीमा को बढ़ाया जाए और सब्सिडी को 25 सालों के लिए किया जाए.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
india opposes wto negotiations on Fisheries Subsidiy says it is not acceptable
Short Title
Fisheries Subsidy कम करने के WTO के फैसले के खिलाफ भारत, कहा- हमें स्वीकार नहीं
Article Type
Language
Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
सांकेतिक तस्वीर
Caption

सांकेतिक तस्वीर

Date updated
Date published
Home Title

Fisheries Subsidy कम करने के WTO के फैसले के खिलाफ भारत, कहा- हमें स्वीकार नहीं