डीएनए हिंदी: रूस से तेल खरीदने और 'युद्ध की फंडिंग' के आरोपों पर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मुंहतोड़ जवाब दिया है. अमेरिकी अखबार 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' के उस आरोप पर भी जयशंकर ने मुंहतोड़ जवाब दिया जिसमें कहा गया कि रूस पर लगे प्रतिबंधों से उसे बचाने के लिए भारत मदद कर रहा है. अखबार के मुताबिक, भारत रूस से तेल खरीदकर दूसरे देशों को बेच रहा है.
एक इंटरव्यू के दौरान एस जयशंकर ने आरोपों पर जवाब दिया और यूरोपीय देशों के साथ-साथ अमेरिका को भी आड़े हाथ लिया. दरअसल, यूक्रेन-रूस युद्ध शुरू होने के बाद से ही यूरोपीय देशों और अमेरिका ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं. ऐसे में भारत पर आरोप लग रहे हैं कि भारत, रूस से तेल खरीदकर उसकी मदद कर रहा है. आरोप है कि भारत अप्रत्यक्ष रूप से रूस और यूक्रेन के युद्ध में रूस की मदद कर रहा है.
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वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट को बताया गलत
एस. जयशंकर से पूछा गया कि वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा है कि भारत, रूस के लिए पाइपलाइन के तौर पर काम कर रहा है. इस पर जयशंकर ने कहा, 'जिसने भी यह लिखा है क्या उसे पता है कि ट्रांस शिपमेंट क्या होता है? ट्रांस शिपमेंट का मतलब है कि आप कुछ खरीदते हैं उसे बेच देते हैं. मैंने तो नहीं सुना कि भारत में ऐसा कोई कुछ सोच भी रहा हो.' उन्होंने अमेरिकी अखबार की इस रिपोर्ट को पूरी तरह गलत बताया.
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तेल की कमी के बारे में एस जयशंकर ने कहा, 'तेल के बाजार को समझने की ज़रूरत है. इस समय पूरी दुनिया में तेल की कमी है. हम पाइपलाइन की तरह काम नहीं करते कि एक देश से तेल खरीदा और दूसरे को बेच दिया.'
यूरोप और अमेरिका को दी नसीहत
विदेशी मंत्री एस. जयशंकर ने इन आरोपों पर कहा, 'यूरोपीय देश भी रूस से गैस का आयात कर ही रहे हैं. सिर्फ़ भारत से ही सवाल क्यों किया जा रहा है? अगर भारत रूस की फंडिंग कर रहा है तो क्या यूरोपीय देश नहीं कर रहे हैं?' उन्होंने यह भी कहा कि अगर यूरोप और अमेरिका इतने ही चिंतित हैं तो वेनेजुएला और ईरान के तेल को मार्केट में आने दें.
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जयशंकर ने कहा कि रूस का यूक्रेन पर हमला बहुत चिंता की बात है, हर कोई इससे परेशान है. युद्ध का असर पेट्रोल की कीमतों पर पड़ रहा है, गेहूं की कीमतों पर पड़ रहा है. इसका असर हमारे किसानों पर होगा, इससे बीमा की समस्या हो रही है.
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युद्ध में मदद के लिए रूस का तेल खरीदकर बेच रहा भारत? विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया तगड़ा जवाब