डीएनए हिंदी: चीन में पिछले चार दिनों से लगातार 30,000 से ज्यादा वैश्विक महामारी कोरोनावायरस (Covid-19) के केस रिपोर्ट हो रहे हैं. चीन कोविड नियंत्रण और इकॉनमी के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है. चीन की जीरो कोविड नीति के कारण कई शहरों में विरोध प्रदर्शन की खबरें भी लगातार आ रही हैं. यूक्रेन और रुस की लड़ाई के कारण पहले से ही दुनिया आर्थिक मंदी के कगार पर खड़ी है. ऐसे में चीन की इकॉनमी में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ तो पूरी दुनिया के लिए हालात और मुश्किल होते जाएगें.
चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत है. चीन की GDP 18 हजार बिलियन डॉलर की है. दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी अमेरिका भी मंहगाई से जूझ रही है. चीन एक तरह से पूरी दुनिया के लिए मैनूफैक्चिरिंग हब बन चुका है. ग्लोबल सप्लाई चेन बहुत हद तक चीन पर निर्भर है. ऐसे में अगर चीन में इकॉनमी थमती है तो पूरी दुनिया पर इसका असर देखा जाएगा. जिस मंदी की आशंका की जा रही है, उसका असर और पहले दिखाई देना शुरु हो जाएगा.
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खराब है वैश्विक अनुमान
जुलाई 2022 में जारी नोमुरा की रिपोर्ट के अनुसार अगले 12 महीने में अमेरिका, यूरोपीयिन यूनियन, कनाडा समेत दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मंदी की चपेट में आने की आशंका जताई गई थी. रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन और भारत मंदी की मार से अछूते रहेगें. हालांकि इन देशों की विकास दर के भी धीमी रहने का अनुमान लगाया गया था. रिपोर्ट में ये आशंका जताई गई थी लेकिन चीन में कड़े कोविड प्रतिबंध के कारण स्थितियां खराब हो सकती हैं.
चीन भारत का दूसरे बड़ा ट्रेड पार्टनर
पिछले साल भारत का चीन से कारोबार 115 बिलियन डॉलर से ज्यादा हो चुका है. इसमें भारत का चीन से आयात 94 बिलियन डॉलर का था. इलेक्ट्रानिक, इलेक्ट्रिक और फर्टिलाईजर के अलाव भारत अपने बहुत से फार्मा क्षेत्र में अपने आयात के लिए चीन पर निर्भर हैं.
भारत के लिए चुनौतियां और अवसर
ग्लोबाईलाईजेशन के कारण पूरी दुनिया का व्यापार एक दूसरे पर निर्भर है. चीन में व्यापार थमने के कारण भारत के लिए भी चुनौतियां बढेंगी. वरिष्ठ अर्थशास्त्री बृंदा जागीरदार कहती हैं कि, “भारत अपने फार्मा और कई अन्य क्षेत्रों में कच्चे माल के लिए चीन से आयात पर निर्भर हैं. ऐसे में भारत का व्यापार भी इससे अछूता नहीं रह सकता है."
खास नीति पर काम कर रहा विश्व
पूरी दुनिया कोविड के बाद चीन+1 की नीति पर काम कर रही है. कोविड के बाद पूरी दुनिया को एहसास हुआ कि अपने व्यापार के लिए किसी भी एक देश पर निर्भर रहने में बहुत खतरा है. इसी कारण से दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों ने चीन से बाहर अपने फैक्टरियां लगाने की ओर कदम बढ़ाया है. इसके कारण वियतनाम,फिलीपींस, बांग्लादेश और भारत को फायदा हुआ है.
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अर्थशास्त्री बृंदा जागीरदार का मानना है कि चीन+1 की नीति का भारत को फायदा हुआ है लेकिन अभी वो ये बहुत बड़े स्तर पर नहीं हो रहा है. भारत की स्थिति पूरी दुनिया के मुकाबले बेहतर स्थिति में हैं. IMF जैसी कई वित्तीय संस्थाओं का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024 में भी भारत को सबसे तेज बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बनी रहेगी लेकिन भारत को अपनी बढ़ती आबादी के लिए 8 प्रतिशत से ज्यादा रफ्तार से बढ़ना होगा.
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