बांग्लादेश संकट (Bangladesh Political Crisis) के बीच देश भर में प्रदर्शन और हुड़दंग का दौर जारी है. प्रदर्शनकारियों का एक समूह सेना के टैंक पर चढ़ गया, तो कुछ लोग पीएम आवास में घुस गए. इस दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों में लगी देश के संस्थापक मुजीबुर रहमान की मूर्तियां तोड़ दी गई हैं. पूर्व पीएम शेख हसीना की फोटो भी हर जगह से उतार ली गई है. उपद्रवियों के एक गुट ने प्रधानमंत्री आवास में लगी शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति तोड़कर गिरा दी है.
कौन थे शेख मुजीबुर रहमान
बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान शेख हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक थे. उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान से अलग देश बनाने के लिए काफी संघर्ष किया था. आजादी मिलने के बाद उन्हें बंगबंधु और बांग्लादेश का राष्ट्रपिता भी कहा गया. साल 1975 में 15 अगस्त के दिन सेना की एक टुकड़ी ने प्रधानमंत्री के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. उनके घर में ही परिवार के 18 सदस्यों के साथ शेख मुजीबुर रहमान की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी.
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इस नृशंस हत्याकांड के वक्त शेख हसीना और उनकी बहन की जान बच गई थी, क्योंकि दोनों उस वक्त देश में नहीं थीं. शेख हसीना अपने पति के साथ जर्मनी में थीं जो एक रिसर्च के सिलसिले में उन दिनों वहां रह रहे थे. इस हत्याकांड के बाद शेख हसीना को उनके परिवार के साथ तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने भारत में शरण दी थी.
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बांग्लादेश की आजादी के लिए किया था संघर्ष
पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर होने वाले भेदभाव के विरोध में शेख मुजीबुर रहमान ने आवाज उठाई और अवामी लीग की स्थापना की थी. बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष करने पर पाकिस्तान ने उन्हें मौत की सजा भी दी थी, हालांकि, वह देश से बाहर निकलने में कामयाब रहे थे. 9 महीने तक उन्होंने पाकिस्तान की एक जेल में भी बंद रखा गया था. बांग्लादेश की आजादी के बाद पहले वह राष्ट्रपति और फिर प्रधानमंत्री बने थे.
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