माली एक अफ़्रीकी देश है. पिछले साल अगस्त में यहाँ की चुनी हुई सरकार का तख्ता पलट कर सैनिक शासन ने अधिकार कर लिया था. वर्तमान में देश के राष्ट्रपति कर्नल अस्सिमी गोइटा (Assimi Goita) हैं.

सत्तारूढ़ सैनिक शासन ने चार दिनों का राष्ट्रीय फोरम शुरु किया है जिसमें जनता के शासन की ओर लौटने की बात होगी.  हालाँकि कई मुख्य जन-समूहों ने इसका पहले ही बहिष्कार कर दिया है. फोरम के विषय में वर्तमान राष्ट्रपति का कहना है कि हम देश की वर्तमान स्थिति का उचित जायजा लेंगे और देश में संकट ख़त्म करने के लिए उचित क़दम उठायेंगे.’

सैनिक शासन की शुरुआत

दुनिया के सबसे ग़रीब देशों में शामिल माली 1960 में आज़ाद हुआ था और तब से लगातार राजनैतिक अस्थिरता का शिकार रहा है.

अगस्त 2020 में कुछ युवा अफसरों के नेतृत्व में गोइटा ने सत्ता पलट कर दी थी और चुने हुए प्रधानमंत्री इब्राहिम बोउकाबर कीटा (Ibrahim Boubacar Keita) को गद्दी से उतार दिया था. इससे पहले इब्राहिम पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे. देश भर में इब्राहिम के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहा था और खून-ख़राबा भी.

क्यों अब सिविलियन शासन की ओर लौटना चाहते हैं गोइटा

माली पर लगातार पड़ोसी देशों का दवाब था कि देश में चुनी हुई सरकार की तरफ लौटा जाए. इसी मामले में गोइटा ने तय किया है कि देश में फरवरी 2022 में चुनाव करवाये जाएँगे.माली का इतिहास रहा है कि वह देश की समस्याओं का समाधान जन-समूहों के साथ मिलकर निकाला जाए. अक्सर देश मुद्दों पर साथ बैठता है और अपनी समस्याओं का समाधान निकालता है.

यह नेशनल फोरम मीटिंग स्थानीय स्तर पर होती है. कुछ मीटिंग विदेश स्तर पर भी हुई हैं. माली में लगातार कुछ रेबेल ग्रूप सक्रिय हैं. उनकी पहुंचसेन्ट्रल माली तक हो गयी थी. फ्रेंच आर्मी की दखल के बाद उन्हें तितर-बितर किया गया.

 

 

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will Mali return to civilian rule?
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लोकतंत्र की ओर लौटेगा अफ़्रीकी देश माली ?
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Assimi Goita mali
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