Who is Ven Ajahn Siripanyo: आपने लोगों को एक-एक रुपये के लिए लड़ाई करते हुए देखा होगा, लेकिन यदि कोई शख्स एक झटके में अरबों रुपये की दौलत और ऐशोआराम की जिंदगी ठुकरा दे तो आप क्या कहेंगे? इतना ही नहीं रईसों की जिंदगी छोड़कर वह शख्स गली-गली घूमकर भिक्षा मांगने वाला साधु बन जाए तो शायद आपकी हैरानी से आंखें फट जाएंगी. लेकिन हम जो बता रहे हैं, वो सच्ची बात है. हम बात कर रहे हैं मलेशिया के दिग्गज उद्योगपति आनंद कृष्णन के बेटे वेन जान सिरिपानयो की, जिनकी चर्चा इस समय हर तरफ हो रही है. मलेशिया के तीसरे सबसे अमीर आदमी आनंद कृष्णन को टेलीकॉम दिग्गज कहा जाता है, जो टेलीकॉम कंपनी एयरसेल (Aircel) के मालिक रहे हैं. बता दें कि एयरसेल वही कंपनी है, जो लंबे समय तक इंडियन प्रीमियर लीग (Indian Premier League) यानी IPL में महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) की टीम चेन्नई सुपरकिंग्स (Chennai Superkings) की स्पॉन्सर (Ananda Krishnan Aircel IPL CSK) रही थी. वेन जान सिरिपानयो अपने पिता की अकूत दौलत और ऐशोआराम की जिंदगी छोड़कर बौद्ध भिक्षुक बन गए हैं.
कई सेक्टर के दिग्गज उद्योगपति हैं पिता
सिरिपानयो के पिता आनंद कृष्णन केवल टेलीकॉम दिग्गज ही नहीं हैं बल्कि वे मलेशियाई उद्योग जगत में कई सेक्टर में दबदबा रखते हैं. उनका बिजनेस टेलीकॉम के अलावा रियल एस्टेट, गैस एंड ऑयल, मीडिया और सैटेलाइट सेक्टर तक फैला हुआ है. आनंद कृष्णन की नेटवर्थ करीब 5 अरब डॉलर (करीब 40 हजार करोड़ भारतीय रुपये) मानी जाती है.
ब्रिटेन में पढ़े-लिखे हैं सिरिपानयो
मीडिया रिपोर्ट्स के मुतााबिक, सिरिपानयो और उनकी दो बहनों का बचपन ब्रिटेन में बीता ह. 8 भाषाएं जानने वाले सिरिपानयो को अलग-अलग कल्चर के बारे में पढ़ने और उसकी जानकारी लेने में दिलचस्पी रहती है. इसी दौरान वे बौद्ध शिक्षाओं के संपर्क में आए और उन्हें यहां अच्छा लगा. सिरिपानयो धर्म को लेकर स्वतंत्र दृष्टिकोण रखते हैं. इसके चलते बौद्ध धर्म के संपर्क में आने के बाद उन्होंने इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की कोशिश की.
थाईलैंड के राजपरिवार से है नाता, वहीं से जुड़ा बौद्ध धर्म से लिंक
वेन जान सिरिपानयो का नाता थाईलैंड के राजपरिवार से भी है, दरअसल सिरिपानयो की मां एम सुप्रिंदा चक्रबान थाईलैंड के राजपरिवार से संबंध रखती हैं. बौद्ध धर्म से उनका लिंक भी अपने ननिहाल में ही महज 18 साल की उम्र में जुड़ा था. उन्होंने आध्यात्मिक अनुभव को लेने के लिए तब बौद्ध मठ में भिक्षुक के तौर पर शामिल होने का फैसला लिया. मठ में भिक्षुक के तौर पर रहने में उन्हें बेहद सुकून मिला और उन्होंने इसी तरीके से उम्र गुजारने का निर्णय लिया. अब उन्हें बौद्ध भिक्षुक बने हुए करीब दो दशक हो चुके हैं और वे जंगल में बौद्ध मठ में भिक्षुक की तरह रहने को ही असल जिंदगी मानते हैं.
आते रहते हैं परिवार से मिलने
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि बौद्ध भिक्षुक बनने के बावजूद सिरिपानयो अपने परिवार के साथ पूरी तरह संपर्क में हैं. वे बीच-बीच में अपने परिवार से मिलने के लिए भी आते रहते हैं, लेकिन वहां भी महल जैसे घर में आम भिक्षुक जैसी ही जिंदगी जीते हैं. कुछ समय परिवार के पास रहने के बाद वे वापस अपनी पुरानी जिंदगी में लौट जाते हैं.
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