डीएनए हिंदी: UP Nikay Chunav 2023 Results- उत्तर प्रदेश में इस बार नगर निकाय चुनाव के दौरान कई जगह अजब-गजब रिजल्ट देखने को मिले हैं. जहां पूरे प्रदेश में भगवा लहर रही, वहीं देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के गृह जनपद और भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले चंदौली जिले में पार्टी को उलटफेर वाले परिणाम का सामना करना पड़ा है. जिले के पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर (मुगलसराय) में भगवा दल ही नहीं सपा-बसपा को भी पटखनी देते हुए पहली बार एक किन्नर प्रत्याशी ने नगर पालिका चेयरमैन पद का चुनाव जीत लिया है. इस रिजल्ट ने जहां सभी को चौंका दिया है, वहीं अब हर कोई सोनू किन्नर के बारे में जानना चाह रहा है.
'नर है ना नारी, सब पर है भारी' नारे के साथ चलाया अभियान
पूर्वांचल के चंदौली जिले का दीनदयाल उपाध्याय नगर एशिया के सबसे बड़े रेलवे यार्ड के लिए मशहूर है. इस जिले में भाजपा का वर्चस्व माना जाता है. भाजपा की नजर में इसकी अहमियत का अंदाजा राजनाथ सिंह के रक्षा मंत्री होने के साथ ही यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे डॉ. महेंद्र नाथ पांडे को भी केंद्रीय मंत्री बनाने से लग सकता है. यहां से एक किन्नर के भाजपा उम्मीदवार को पटखनी देकर चेयरमैन पद कब्जाने को बड़ी बात माना जा रहा है. दरअसल इसे वोटर्स की सभी पार्टियों से नाराजगी के नजरिये से देखा जा रहा है. सोनू का 'नर है ना नारी, सब पर है भारी' जुमले वाला कैंपेन सभी पर भारी पड़ गया.
कोई भी पार्टी नहीं भांप सकी वोटर्स का मूड
सोनू किन्नर ने जब चुनावी बिगुल बजाया था तो सभी ने इसे हंसी-मजाक में लिया था. कोई भी राजनीतिक दल जनता के चुनावी मूड को नहीं भांप पा रहा था. भाजपा ने मालती सोनकर, सपा ने अनीता सोनकर और बसपा ने दीपा को उम्मीदवार बनाया था. तीनों ही पार्टियों ने चुनाव प्रचार में जमकर अपने संसाधन भी झोंके थे. भाजपा अपनी जीत तय मान रही थी, लेकिन नाच-गाकर घर-घर से नेग लेने वाले सोनू किन्नर सब पर भारी पड़ गए. पूरा शहर सालों से सोनू किन्नर को अपने घरों में देखता रहा है. वही किन्नर जनता को अपना विकल्प लगा. इस मूड को आम आदमी पार्टी (AAP) ने भांपकर सोनू किन्नर के समर्थन की घोषणा की. इसके बाद किन्नरों के दलों ने मोहल्ले-मोहल्ले जाकर प्रचार का वो समां बांधा कि चुनाव ही पलट गया. पार्टियों से असंतुष्ट मतदाताओं ने सोनू किन्नर की झोली वोट से भर दी.
25 साल पहले किन्नर दल में शामिल हुए थे सोनू
हनुमानपुर चमरौटिया के रहने वाले सोनू अब 42 साल के हैं करीब 25 साल पहले महज 17 साल की उम्र में सोनू परिवार को छोड़कर किन्नर दल में शामिल हो गए थे. धीरे-धीरे वे अपने गुरु गुलाब के ऐसे चहेते बने कि उनके निधन के बाद दीनदयाल उपाध्याय नगर की नई बस्ती इलाके के किन्नर सरदार की गद्दी उन्हें ही मिली. सोनू की दिनचर्या भी आम किन्नर जैसी ही रहती है. सुबह उठकर किन्नर टोली के साथ निकलना. जगह-जगह लोगों के घरों में जाकर बधाई गाने के बाद नेग वसूलना.
जबरन वसूली नहीं करने वाले किन्नर की इमेज होना आया काम
सोनू को राजनीति के गलियारे में उतारा शहर के पुराने राजनीतिक दिगग्ज शमीम मिल्की ने. शमीम की सलाह पर सोनू ने चेयरमैन पद का पर्चा भरा और प्रचार शुरू किया. प्रचार शुरू होते ही सोनू को लोगों ने हाथोंहाथ लिया. राजनीतिक दलों से पहले से उबे वोटर्स के दिमाग में सोनू की जबरन वसूली नहीं करने वाले किन्नर की इमेज ने दोहरा असर किया. नतीजतन वोटर्स ने उन्हें जिताकर चेयरमैन पद पर बैठा दिया.
प्रदेश में नगर पालिका चेयरमैन बनने वाले तीसरे किन्नर
सोनू से पहले दो बार और उत्तर प्रदेश में किन्नर ने नगर पालिका चेयरमैन का चुनाव जीता है. सबसे पहले साल 2001 में गोरखपुर में किन्नर आशा देवी ने राजनीतिक दलों को धूल चटाकर चेयरमैन पद जीता था. मेयर चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरी आशा देवी के सामने सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. साल 2006 में मिर्जापुर की अहरौरा नगर पालिका की चेयरमैन रेखा किन्नर बनी थी. अब सोनू किन्नर प्रदेश के तीसरे किन्नर चेयरमैन बन गए हैं.
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