देश की चार होनहार छोटी बच्चियों ने ऐसा काम किया है, जिसके बारे में सुनकर आप सलाम करेंगे. महज 14 साल की उम्र में इन बच्चियों ने एक ऐसा स्मार्ट ग्लास प्रोटोटाइप बना दिया है, जो दृष्टि बाधित लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है. पूरा देश इन बच्चियों की तारीफ कर रहा है.
स्मार्ट गॉगल प्रोजेक्ट टीम ने केरल के त्रिशूर में इसे लॉन्च किया है. यह प्रोजेक्ट सेंट पॉल सीई हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्रों का है, जिन्होंने पीपीपी-मॉडल अटल टिंकरिंग लैब की मदद से इसे तैयार किया है.
अटल टिंकरिंग लैब की पहली एनवर्सरी पर इस प्रोजेक्ट को लॉन्च किया. एटीएल भारत सरकार के नीति आयोग कार्यक्रम की एक पहल है. इसके जरिए देश भर में हाई स्कूल के छात्रों में इनोवेशन को बढ़ाने पर जोर दिया जाता है.
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देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में 10,000 से अधिक एटीएल अब तक स्थापित हो चुके हैं. इस अनोखे पहल की हर जगह तारीफ हो रही है. बच्चियों के चश्मे को अब और विकसित करने पर जोर ददिया जाएगा.
कैसे काम करता है ये गॉगल?
केरल की हन्ना रितु सोजन, एन्सिला रेजी, एनलिन बिजॉय और अंजेलेना वीजे ने एक स्मार्ट ग्लास प्रोटोटाइप बनाया है.
यह स्मार्ट गॉगल ग्लास उन लोगों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो नेत्रहीन या दृष्टिबाधित हैं. स्मार्ट गॉगल अपने अल्ट्रासोनिक सेंसर की वजह से सामने आने वाली बाधाओं को पहचान लेता है और बजर बजाने लगता है.
बेहद अनोखा है ये स्मार्ट गॉगल
सेंट मैरी कॉन्वेंट गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल की नौवीं कक्षा के छात्रों ने छठी कक्षा की एक नेत्रहीन लड़की के लिए स्मार्ट ग्लास बनाया है.
इस ग्लास की वजह से दूसरे लोगों और स्टिक पर दृष्टि बाधितों की निर्भरता कम हो जाएगी. दृष्टिबाधित लोगों की जिंदगी इससे आसान हो जाएगी.
टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस चश्मे को सुधारने के लिए और काम किया जा रहा है.
बच्चियों ने बातचीत में कहा, 'हमने अपने स्कूल में छठी कक्षा की एक नेत्रहीन लड़की की मदद के लिए स्मार्ट गॉगल बनाया. हम 9वीं क्लास में पढ़ते हैं. हम इस पहल में कामयाब हुए हैं.'
स्मार्ट गॉगल में ऐड होंगे ये फीचर
अगर दृष्टि बाधियों के साथ कोई हादसा हो तो वे न तो गाड़ियों की पहचान कर पाते हैं, न ही नंबर नोट कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में अगर उनके स्मार्ट वॉच में कैमरा रहेगा तो उनकी राह और आसान हो जाएगी.
हिट एंड रन की स्थिति से बचने के लिए ऐसे गॉगल मददगार हो सकते हैं. हादसों को रिकॉर्ड किया जा सकता है. अब छात्राएं इस गॉगल में कैमरा फीड करने के बारे में सोच रही हैं.
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हन्ना ने कहा, 'रे-बन जैसी कंपनियां इस मार्केट में पहले से हैं लेकिन उनके संसाधन महंगे हैं. हम सस्ते प्रोडक्ट्स को बनाने पर जोर दे रहे हैं.'
हर हफ्ते हब स्कूल के ये छात्र एटीएल प्रोग्राम में हिस्सा लेते हैं. वहां लर्नर लिंक्स फाउंडेशन की ओर से उन्हें एक एडवाइजर मिलता है, जो नए अनुसंधानों से जुड़े विज्ञान की तकनीक उन्हें सिखाता है.
एटीएल के मेंटर जैक्सन जॉनसन से हैं और वे केरल में लोगों की मदद कर रहे हैं. वे छात्रों को इलेक्ट्रॉनिक्स, एंबेडेड सिस्टम और दूसरे जरूरी मामलों में ट्रेनिंग देते हैं.
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केरल की लड़की ने बनाया ऐसा चश्मा कि नेत्रहीनों को भी दिख जाएगी राह