डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के शामली से एक रोचक मामला सामने आया है. यहां एक भैंस के बच्चे को लेकर दो लोगों में ऐसी जंग छिड़ी की बात थाने तक पहुंच गई. इतना ही नहीं, इस लड़ाई में भैंस के बच्चे को भी बली का बकरा बनना पड़ा. उसका डीएनए टेस्ट किया गया और इस दौरान बेचारे को बेवजह इंजेक्शन लगवाने पड़े.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, हुआ यूं कि दो साल पहले एक घर से भैंस का बच्चा चोरी हो गया था. अब तीन महीने पहले पता चला कि वह बच्चा सहारनपुर के एक गांव में है. फिर क्या था, पीड़ित उसे लेने सहारनपुर ही पहुंचा गया. हालांकि, यहां आने पर घरवालों ने उसे देने से इंकार दिया. उनका कहना था कि ये बच्चा उनकी भैंस का है लेकिन पीड़ित भी हार नहीं मानने वाला था. उसने बिना देरी किए मामले की शिकायत थाने में दर्ज कराई. जांच शुरू की गई तो एसपी के आदेश पर पशु चिकित्सकों की एक टीम डीएनए टेस्ट के लिए शामली पहुंची तो दूसरी सहारनपुर. यहां से दोनों भैंस और उस बच्चे के ब्लड का सैंपल लिया गया.
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मामले को लेकर ऊन तहसील के अहमदगढ़ गांव निवासी चंद्रपाल कश्यप का कहना है कि 25 अगस्त 2020 को किसी ने रात के अंधेरे का फायदा उठाकर उनके घेर से भैंस का बच्चा चुरा लिया था. इसके बाद उन्होंने कई दिनों तक तलाश की लेकिन वह कहीं नहीं मिला. उस वक्त भी उन्होंने थाने में चोरी की शिकायत दर्ज कराई थी.
चंद्रपाल ने आगे बताया, 'तीन महीने बाद पता चला कि भैंस का बच्चा सहारनपुर के बीनपुर गांव में सतवीर के घर में है. जानकारी मिलने पर मैं वहां पहुचा तो सतवीर और उसके घर वालों ने मुझे उसे देने से मना कर दिया. इसपर मुझे कानूनी लड़ाई शुरू करनी पड़ी. मैंने उच्च अधिकारियों से लेकर सीएम तक से गुहार लगाई.'
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वहीं, मामले को लेकर बिडौली चौकी प्रभारी अरुण कुमार का कहना है कि भैंस के बच्चे पर अहमदगढ़ के चंद्रपाल और सहारनपुर के बीनपुर गांव निवासी सतवीर अपना-अपना दावा पेश कर रहे हैं. फिलहाल टेस्ट की रिपोर्ट का इंतेजार है.
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किसकी भैंस, किसका बछड़ा? थाने पहुंचा मामला तो करना पड़ा DNA