डीएनए हिंदी: Sudan Crisis- सूडान संकट के बीच केंद्र सरकार ऑपरेशन कावेरी (Operation Kaveri) के जरिये वहां फंसे भारतीयों को निकालकर ला रही है. कर्नाटक के भद्रपुर की 'हक्की पिक्की' जनजाति के भी 181 आदिवासियों को वहां से रेस्क्यू किया गया है. क्या आपको पता है कि कर्नाटक के इस रिमोट जिले में रहने वाली यह जनजाति बेहद अनूठी है. यदि हक्की-पिक्की जनजाति के इलाके में आप हाई कोर्ट, जापान अमेरिका, मैसूर पाक जैसे शब्द सुनें तो इन्हें अदालत, देश या मिठाई मत मान लीजिएगा. आपको बता दें कि सदियों से अपने देसी प्रॉडक्ट्स को सूडान जाकर बेच रही इस जनजाति में बच्चों के नाम (Karnatak tribe funny names) ऐसे ही अनूठे रखे जाते हैं, जिन्हें सुनकर शायद आपकी हंसी छूट जाएगी और शेक्सपियर अपना 'नाम में क्या रखा है' जुमला भूल जाएंगे.
मजाकिया नामों के पीछे छिपी है कहानियां
टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक से लेकर आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्थान तक फैली इस जनजाति में आपको लोगों के नाम सु्प्रीम कोर्ट, गूगल, ओबामा, अमेरिका, डॉलर, शाहरुख खान से लेकर कॉफी तक मिल जाएंगे. आपको सुनने में ये बेहद मजाकिया लगेगा, लेकिन इस जनजाति का हर सदस्य अपने नाम को बेहद गंभीरता से लेता है. दरअसल ऐसे मजाकिया नाम रखने के पीछे भद्रपुर की इस अनूठी जनजाति का अपना ही एक कारण है. ऐसे हर नाम के साथ कोई न कोई अनूठी कहानी जुड़ी हुई है. जैसे, मैसूर पाक (मिठाई का नाम) नाम एक बच्चे का महज इसलिए रख दिया गया, क्योंकि उसके माता-पिता को ये मिठाई बेहद भा गई थी. इसी तरह कॉफी का नाम उसका जन्म चिक्कमगलुरू के कॉफी बागान के पास एक कैंप में होने के कारण रखा गया था.
ऐसे हैं अजब-गजब नाम
चार दशक पहले तक जंगलों में रहने वाली ये जनजाति जब सरकार ने भाद्रपुर में आम लोगों के बीच बसाई तो अनूठे नाम रखने का सिलसिला शुरू हुआ. यहां एक शख्स जापान है, जिसका भतीजा है हाई कोर्ट. मैसूर पाक की भाभी का नाम बैंगलोर पाक है. ऐसे ही सुप्रीम कोर्ट, वन बाय टू और अमेरिका आपस में बेस्ट फ्रेंड हैं. इतना ही नहीं यहां लोगों के नाम कांग्रेस और जनता भी हैं.
पासपोर्ट भी लिखे हुए हैं ये ही फनी नाम
ये भले ही आदिवासी जनजाति है, लेकिन इस जनजाति के लोगों के पास पासपोर्ट भी हैं. ये लोग घुमंतू हैं और व्यापार करने के लिए दूर-दूर के देशों की यात्रा करते रहते हैं. इनके पासपोर्ट पर भी इनके अजीब नाम ही लिखे रहते हैं, जिसे देखकर कई बार एयरपोर्ट पर भी अजब स्थिति बन जाती है. घूम-फिरकर विदेशों तक अपने आयुर्वेदिक व हर्बल प्रॉड्क्ट्स बेचने के चक्कर में ही इस जनजाति के 181 लोग सूडान में फंस गए थे. सूडान में ये जनजाति कई सदियों से व्यापार के लिए जाती है और वहां इनके प्रॉड्क्ट्स की भारी मांग है.
पहले पकड़ते थे चिड़िया, अब जुटाते हैं जड़ी-बूटियां
हक्की-पिक्की का अर्थ चिड़िया पकड़ने वाला यानी बहेलिया होता है. इस जनजाति के लोग पुराने समय में जंगलों से चिड़िया पकड़कर पिंजड़ों में बेचने का काम करते थे. इसके अलावा ये जंगलों में शिकार कर जानवरों की खाल आदि भी बेचा करते थे. जंगल के नियम सख्त हुए और शिकार आदि पर पाबंदी लगी तो इन्होंने जंगलों से जड़ी-बूटी जुटाकर आयुर्वेदिक प्रॉड्क्ट्स बनाने के पुश्तैनी काम को बढ़ाना शुरू कर दिया. इस जनजाति में केवल नाम ही अनूठे नहीं हैं बल्कि बाकी रिवाज भी सबसे अलग हैं. यह जनजाति मातृसत्तात्मक होती है यानी परिवार में पुरुष के बजाय महिला मुखिया होती है. शादी में भी दूल्हे की तरफ से दुल्हन को दहेज दिया जाता है. साथ ही तलाक के वक्त आधे रुपये के बराबर रकम भी लौटानी पड़ती है.
महाराणा प्रताप से जुड़ा है जनजाति का इतिहास
कर्नाटक की हम्पी यूनिवर्सिटी के आदिवासी अध्ययन विभाग ने इस जनजाति पर स्टडी की है. उसकी रिपोर्ट में इस जनजाति को राजस्थान के मेवाड़ के मशहूर राजा महाराणा प्रताप से जोड़ा गया है. धारणा है कि महाराणा प्रताप के साथ जंगलों में रहने लगे लोग धीरे-धीरे राजनीतिक उथल-पुथल के चलते दक्षिण भारत की तरफ खिसकते चले गए और यहां अलग-अलग इलाकों में फैल गए.
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