ऐसा क्यों होता है कि गाड़ी में बैठते ही दिमाग इतना रिलैक्स हो जाता है कि नींद आ जाती है. आखिर इसकी साइंस क्या है ?
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गाड़ी में आने वाली नींद को लेकर रिसर्च में कई बातें सामने आई हैं. इसकी वजह स्लीप डेब्ट, बोरियत और हाइवे हिप्नोसिस (Highway Hypnosis) बताई गई है.
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जब आप कहीं जाने वाले होते हैं तो इससे पहले तैयारी में लगे रहते हैं. इसके अलावा दिमाग में ये बातें भी चलती रहती हैं कि कहीं कोई चीज छूट न जाए. इस चक्कर में आपकी नींद पूरी नहीं हो पाती है. इसे ही स्लीप डेब्ट (Sleep Debt) कहा जाता है. यही सफर के दौरान नींद की सबसे बड़ी वजह बनती है.
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रिसर्च में सामने आया कि चलती गाड़ी में लोगों को तभी नींद आती है जब वह कुछ कर नहीं रहे होते हैं. इस दौरान दिमाग और शरीर रिलैक्स की स्थिति में पहुंच जाता है. इसलिए सफर के दौरान लोगों को नींद आने लगती है. इस स्थिति को हाइवे हिप्नोसिस कहते हैं.
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रिसर्च कहता है कि चलती गाड़ी में होने वाला मूवमेंट भी सफर के दौरान नींद लाने का काम करता है. इस दौरान आपकी बॉडी ठीक वैसे ही काम करती है जैसे मां बच्चे को सुलाने के लिए गोद में लेकर हिलाती-डुलाती है. विज्ञान की भाषा में इसे रॉकिंग सेंसेशन (Rocking Sensation) कहते हैं.
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आप जब एक ही फ्लो में हिलते हैं तो उसे रॉकिंग सेंसेशन कहा जाता है. इससे दिमाग पर सिंक्रोनाइजिंग इफेक्ट पड़ता है. जिससे आप स्लीपिंग मोड में चले जाते हैं. इसे स्लो रॉकिंग भी कहते हैं.