आपके मन में भी जरूर आता होगा कि गाड़ियों के रंग के ही टायर क्यों नहीं बनाए जाते? जिस तरह अब बंपर गाड़ी के मैचिंग कलर के होते हैं उसी तरह टायर भी हों तो क्या बात है.
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पहले टायर Rubber से बनाए जाते थे. आपको पता होगा कि रबर का नैचुरल कलर काला नहीं होता है लेकिन रबर से बने टायर काफ जल्दी घिस जाते थे. इसके बाद जब वैज्ञानिकों ने रिसर्च की तो पाया कि अगर रबर में कार्बन और सल्फर मिला दिया जाए तो वो मजबूत हो जाएगी.
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कच्ची रबर का रंग हल्का पीला होता है. टायर बनाने के लिए इस रबर में कार्बन मिलाया जाता है और इसी वजह से टायर जल्दी नहीं घिसता है. कार्बन मिलाने से रबर का रंग काला हो जाता है. इससे टायर अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से भी बच जाता है.
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रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ रबर का टायर केवल 8 हजार किलोमीटर चल सकता है. वहीं कार्बन मिली रबर से बना टायर करीब 1 लाख किलोमीटर तक चल सकता है. गौरतलब है कि रबर में मिलाए जाने वाले कार्बन की कई तरह का होता है. कार्बन पर ही निर्भर करता है कि रबर कितनी मजबूत होगी.
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बता दें कि काली कार्बन कई तरह का होता है. रबर मुलायम होगी या सख्त यह इस पर निर्भर करेगा कि किस तरह का कार्बन उसमें मिलाया गया है. मुलायम रबर के टायरों की पकड़ मजबूत होती है लेकिन वो जल्दी घिस जाते हैं वहीं सख्त टायर आसानी से नहीं घिसते और ज्यादा दिन तक चलते हैं.
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आपने देखा होगा कि बच्चों की साइकिलों रंग-बिरंगे टायर होते हैं. इसकी वजह है कि बच्चों की साइकिल रोड पर ज्यादा नहीं चलती और बच्चों की साइकिल के टायर में काला कार्बन नहीं मिलाया जाता है. इस वजह से ये टायर ज्यादा दिन तक नहीं चलते हैं.
Short Title
Black Color के ही क्यों होते हैं गाड़ी के टायर, एक्सिडेंट से है इसका कनेक्शन