डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में एक कबूतर को 8 महीने के बाद रिहा किया गया है. इस कबूतर को चीन के लिए जासूरी करने के आरोप में पकड़ा गया था. इतना लंबा समय कस्टडी में बिताने के बाद यह कबूतर अब आजाद हो गया है. कबूतर के पैर में कुछ चीजें बंधी होने और उन पर चीन की भाषा में कुछ मैसेज लिखा होने की वजह से पुलिस ने पिछले साल इस कबूतर को पकड़ लिया था.

पकड़े जाने के बाद से ही इस कबूतर को मुंबई को बाई सकारबाई दिनशॉ पेटिट हॉस्पिटल में कस्टडी में रखा गया था. यह परेल स्थित यह अस्पताल जानवरों और पक्षियों के लिए बनाया गया है. पिछले साल इस कबूतर को 17 मई को पकड़ा गया था. इसे चेंबूर स्थित राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स (RCF) के पास पीर पाऊ जेट्टी से पकड़ा गया था. दरअसल, इस कबूतर के पैर में कॉपर और एल्युमिनियम की एक-एक रिंग बंधीं थीं. इसके अलावा, चीन की भाषा में इन पर कुछ लिभा भी था. इसी के चलते पुलिस को शक हुआ और पुलिस ने इसे पकड़ लिया था.

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ताइवान से आ गया था कबूतर
पुलिस ने कबूतर को पकड़ने के बाद उसे अस्पताल भेज दिया था और पैर से बंधी रिंग की जांच कराने के लिए फॉरेंसिक लैब भेज दिया गया था. अस्पताल के मैनेजर डॉ. मयूर डांगर कहते हैं, 'कबूतर की सेह एकदम ठीक थी. इसे पुलिस कस्टडी में रखा गया था इसलिए हम इसे अभी तक छोड़ नहीं पाए थे.' आरसीएफ थाने के ASI रवींद्र पाटिल ने बताया कि यह कबूतर ताइवान के एक रेसिंग कंपटीशन में हिस्सा लेता था. वहीं से उड़कर यह भारत तक आ गया था.

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अब इस कबूतर पर लगाए गए जासूसी के आरोप हटा लिए गए हैं. आरोप हटने के बाद ही कबूतर को छोड़ा गया था. इस कबूतर को अस्पताल में रखने से अस्पताल के पास पक्षियों को रखने की कमी हो रही थी इसी के चलते अस्पताल प्रशासन बार-बार पुलिस से अपील कर रहा था कि इसे छोड़ दिया जाए. हालांकि, जांच पूरी होने के बाद ही पुलिस ने इसे रिहा करने के आदेश दिए हैं.

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जासूसी के शक में 8 महीने 'जेल' में रहा कबूतर, अब हुई रिहाई, समझें पूरा मामला
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जासूसी के शक में 8 महीने 'जेल' में रहा कबूतर, अब हुई रिहाई, समझें पूरा मामला

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