डीएनए हिंदी: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (KNP) में 12 चीतों का दूसरा जत्था दक्षिण अफ्रीका से आ रहा है. चीते शनिवार को भारत पहुंच रहे हैं. भारतीय पर्यावरणकर्मियों ने आशा जताई है कि भारत से लुप्त हो चुकी यह प्रजाति एक बार फिर अस्तित्व में आएगी. भारत में चीतों को बसाने की योजना चलाई जा रही है. फरवरी में नामीबिया से आठ चीते केएनपी में लाए गए थे.

चीता प्रोजेक्ट के एक एक्सपर्ट ने कहा कि नमीबिया से 7 नर और 5 मादा चीते लाए गए हैं. भारतीय वायुसेना के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से दक्षिण अफ्रीका से हजारों मील दूर भारत में चीते आ रहे हैं. शुक्रवार को चीतों को लेकर भारतीय विमान उड़ान भरेगा.

चीते सबसे पहले शनिवार सुबह मध्य प्रदेश में ग्वालियर वायु सेना के अड्डे पर पहुंचेंगे और 30 मिनट बाद उन्हें भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों करीब 165 किमी दूर श्योपुर जिले के केएनपी लेकर जाएंगे. विशेषज्ञ ने कहा कि दोपहर 12 बजे केएनपी पर उतरने के बाद, उन्हें आधे घंटे के बाद क्वारंटाइन में रखा जाएगा. 

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चीतों के स्वागत के लिए कितना तैयार है पार्क?

केएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा ने कहा कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी चीतों के लिए 10 बाड़े स्थापित किए हैं. इनमें से दो बाड़ों में दो जोड़ी चीता भाइयों को रखा जाएगा. उन्होंने कहा है कि शनिवार को चीतों के स्वागत के लिए पार्क तैयार है.

दक्षिण अफ्रीका-भारत में चीतों पर हुआ है करार

विशेषज्ञों ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले साल सितंबर की शुरुआत में केएनपी का दौरा किया था. यह दौरा इसलिए जरूरी था, जिससे जमीन पर दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले जानवरों के आवास के लिए वन्यजीव अभयारण्य में व्यवस्था देखी जा सके. इन चीतों के स्थानांतरण के लिए पिछले माह भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक करार हुआ था. दक्षिण अफ्रीका ने भारत को ये चीते दान किए हैं. 

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एक चीते पर नमीबिया में कितना खर्च कर रहा है भारत?

भारत को नमीबिया में चीता पकड़ने के लिए 3,000 अमरीकी डालर का भुगतान करना पड़ता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को अपने 72वें जन्म दिवस पर नामीबिया से केएनपी में आठ चीतों को छोड़ा था लेकिन उस समय दक्षिण अफ्रीकी सरकार से अनुमोदन न मिलने की वजह से इन 12 चीतों केएनपी नहीं लाया जा सका था. 

1 महीने तक क्यों क्वारंटीन रखे जाएंगे चीते?

भारतीय वन्यजीव कानून के मुताबिक जानवरों को आयात करने से पहले एक महीने का क्वारंटाइन अनिवार्य है और देश में आने के बाद उन्हें अगले 30 दिनों के लिए आइसोलेशन में रखा जाना जरूरी है. पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने UPA सरकार के तहत 2009 में भारत में चीतों को फिर से पेश करने के उद्देश्य से 'प्रोजेक्ट चीता' की शुरुआत की थी. 

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क्या कूनो नेशनल पार्क से आएगी गुड न्यूज?

नमीबिया और साउथ अफ्रीका के चीतों के आने के बाद देश में चीतों की संख्या दहाई में पहुंच रही है. अगर ये प्रजनन करते हैं तो देश में चीतों की आबादी धीरे-धीरे बढ़ सकती है. संरक्षणवादियों का कहना है कि यह जंगल की परिस्थितियों पर निर्भर करता है. अगर मेट के बाद मादा चीता गर्भवती होती है और बच्चों को जन्म देती है तो उनकी भी रक्षा एक बड़ी चुनौती है. उस जंगल में तेंदुए, बाघ और शेर भी हैं. इनके अलावा भेड़ियों के झुंड भी हैं. इन सबसे से नन्हें चीतों का बचना चुनौती है. अगर भारत के कूनो नेशनल पार्क में चीतों के अनुकूल परिस्थितियां बनीं, शिकार करने और प्रजनन की सुलभता रही तो आबादी बढ़ सकती है. अगर मृत्यु दर से ज्यादा प्रजनन दर रहती है तो देश में चीतों की आबादी बढ़ सकती है. (इनपुट: भाषा)
 

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Namibian cheetahs will meet cheetahs from South Africa at Kuno National Park
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जब नामीबियाई चीतों से होगी दक्षिण अफ्रीकी चीतों की मुलाकात
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जंगल का सबसे तेज शिकारी है तेंदुआ.
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जंगल का सबसे तेज शिकारी है तेंदुआ.

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जब नामीबियाई चीतों से होगी दक्षिण अफ्रीकी चीतों की मुलाकात, क्या कूनो नेशनल पार्क से आएगी गुड न्यूज?