डीएनए हिंदी: क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसा जानवर भी है जो खुद की ही पॉटी को खाता है. हालांकि, ऐसा करना उसकी सेहत के लिए बेहद जरूरी होता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह जानवर और कोई नहीं बल्कि खरगोश (Rabbit) है. बेहतर स्वास्थ्य के लिए खरगोश को अपने ही मल का सेवन करना पड़ता है. इस प्रक्रिया को ऑटोकॉर्पोफेजी कहा जाता है.
क्या है कारण?
जानकारी के अनुसार, खरगोश एक ऐसा जीव है जिसका पाचन तंत्र बहुत अधिक विकसित नहीं होता है. इससे उनके शरीर से बहुत से जरूरी न्यूट्रिएंट्स बिना पचे ही बाहर निकल जाते हैं. यही कारण है कि खरगोश उसे खाकर फिर से अधिक से अधिक पोषक तत्व पचाते हैं. ठीक वैसे ही जैसे भैंस अपने पचे हुए चारे को मुंह में वापस लाकर उसे फिर से पचाती हैं.
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दो किस्म की होती है पॉटी
इनमें से एक लिक्विड के रूप में तो दूसरी टैबलेट जैसी होती है. पहली टाइप की पॉटी को सीकोट्रोप कहा जाता है. यह पोषक तत्वों से भरपूर होती है जो द्रव्य रूप से शरीर से बाहर निकल जाती है. इसी को खरगोश खा लेते हैं और फिर इसे पूरी तरह से पचाने के बाद टैबलेट के रूप में दोबारा पॉटी करते हैं.
सीकोट्रोप यानी द्रव्य पॉटी के अंदर टैबलेट वाली पॉटी की तुलना में दोगुने पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें बहुत अधिक मात्रा में विटामिन K और विटामिन B12 होता है. अगर खरगोश द्रव्य पॉटी को नहीं खाएंगे तो उनके शरीर से अधिकतर पोषकतत्व बिना पचे ही निकल जाएंगे.
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वहीं, जानवरों की दुनिया में सिर्फ खरगोश ही ऐसा जीव नहीं है जो अपनी पॉटी खाता है. गिनी पिग, छोटे चूहों और ऐसे ही मिलते-जुलते शाकाहारी जानवरों में यह प्रवृत्ति पाई जाती है.
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OMG! अपनी ही पॉटी खाता है ये जानवर, नाम जानकर रह जाएंगे हैरान