डीएनए हिंदी: महिला सशक्तिकरण को देश में लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है. कहीं महिलाओं को हिजाब से आजादी मिल रही है तो कही उनके घूंघट को लेकर बंधन खत्म करने पर चर्चा हो रही है. वह दुपट्टे को भी गुलामत का ही संकेत माना गया है. इसके चलते एक वीडियो सामने आया है जिसमें स्कूली लड़किया अपना दुपट्टा स्कूल की छत से फेंक रही हैं. इसे पितृसत्तात्मक सोच से आजादी का संकेत माना जा रहा है.
दरअसल, तमिलनाडु के कलवारायण पहाड़ी स्थित एक सरकारी स्कूल में मशहूर लेखिका गीता इलांगोवान पहुंची तो छात्राओं ने उनके स्वागत में दुपट्टा हटा दिया. उनका यह स्वागत का अंदाज इस समय सोशळ मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और.
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बता दें कि वायरल वीडियो में लड़कियां दुपट्टा स्कूल की बालकनी से बाहर फेंकती नजर आ रही है. इसमें दावा किया गया है कि दुपट्टा उत्तर भारत की पितृसत्तात्मक सोच का प्रतीक है और इसीलिए वे यह दुपट्टा फेंक रही हैं. यह वीडियो किसी आदिवासी स्कूल का बताया जा रहा है. हालांकि ऐसा नहीं है.
तमिलनाडु के इस स्कूल में मशहूर लेखिा गीता इलानगोवन पहुंची और उन्होंने यहां अपनी किताब दुपट्टा पोडुंग थोजी का जिक्र किया. इसका मतलब है कि दुपट्टा पहन लो दोस्त. यह किताब छात्राओं को एनजीओ द्वारा दी गई थीं. इस किताब में बताया गया है कि कैसे महिलाओं को गुलाम बनाया जाता है.
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School की बालकनी से लड़कियों ने क्यों फेंक दिया दुपट्टा, जानिए क्या है इस वायरल वीडियो का सच