कहीं गुम न हो जाए बेटी की निश्छलता दुनियादारी में

नाजुक सी, प्यारी सी बेटी को  नपी-तुली मुस्कान और संकोच से बात करते देखती हूं तो लगता है हो गई शुरुआत दुनियादारी सीखने की