डीएनए हिंदी. 21वीं सदी में आपका स्वागत है. यहां आप अपना चेहरा दिखाकर पेमेंट कर सकते हैं. है ना हैरानी वाली बात. शुक्र है कि यह कोई परेशानी वाली बात नहीं है. कोविड-19 की महामारी ने जिस तरह बायोमेट्रिक कॉन्टेक्टलेस पेमेंट को लेकर लोगो में जागरुकता पैदा की है उसके बाद अब फेशियल रिकॉन्गिशन भी सामान्य बात होने वाली है. हालांकि फिलहाल ये किसी हाई-फाई फिक्शन जैसी बात लग रही है लेकिन ये हकीकत है औऱ जल्द ही हमारी जिंदगी का हिस्सा बन सकती है. लेन-देन का तरीका आने वाले दिनों में काफी हाईटेक होने वाला है. इसके लिए आपको ना तो अपना स्मार्टफोन चाहिए होगा, ना ही बैंक कार्ड ना किसी और तरह का आइडेंटिफिकेशन सर्टिफिकेट और ना ही किसी तरह का पिन नंबर. आपको सिर्फ एक छोटी सी एलसीडी स्क्रीन पर अपना चेहरा दिखाना होगा और आपके लिंक किए हुए अकाउंट से आपके पैसे का लेन देन हो जाएगा. मतलब सिर्फ कुछ सेकेंड का समय और बिना किसी शारीरिक संपर्क के बिलुकल कॉन्टेक्टलेस.
कैसे काम करता है ये
इसमें यूजर को ' पे विद फेस रिकॉग्निशन' का विकल्प चुनना होगा, जो यूजर के फेस को स्कैन करके उसे रिकॉग्नाइज कर लेगा. इसके बाद 'कन्फर्म पेमेंट' पर क्लिक करना होगा और बस पेमेंट हो जाएगी. ये बिलकुल ऐसा ही है जैसा कि स्मार्टफोन को अनलॉक करने के लिए फेशियल रिकॉग्निशन का इस्तेमाल किया जाता है. मिलिसेकेंड्स के भीतर ही फेस टेम्पलेट पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर के पास या फिर बैंक के पास आइडेंटिफिकेशन के लिए पहुंच जाएदा. इसके बाद वहां पर ये जांच होगी कि कस्टमर असली है या नकली इसी के आधार पर लेन-देन को आगे बढ़ाया जाएगा. ये फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम व्यक्ति के चेहरे के अलग-अलग नाप के आधार पर पहचान को पुख्ता करता है. मसलन नाक की लंबाई-चौड़ाई. आंखों के बीच की जगह इत्यादि. इस डाटा का इस्तेमाल करके फेसप्रिंट तैयार किया जाता है. फेसप्रिंट का इस्तेमाल करते हुए लेन-देन करने के लिए फेस को बैंक अकाउंट्स के साथ लिंक करना भी जरूरी है.
क्या है कमी
पेमेंट या लेन-देन का ये तरीका काफी नया है. इसे लोगों को इसे अच्छी तरह समझना होगा और अभी इसमें वक्त लग सकता है. इसमें स्कैम होने की भी आशंका है. फिलहाल टू-स्टेप वेरिफिकेशन भी इसमें नहीं है. ये कुछ वजहें हैं जिनकी वजह से इसके बहुतायत इस्तेमाल पर फिलहाल सवाल उठाए जा सकते हैं.
कितना सुरक्षित है
नीदरलैंड आधारित कंपनी विजनलैब्स के मुताबिक ये काफी महंगी तकनीक है. महंगा होने की वजह से इसका फायदा ये भी है कि फ्रॉ़ड करने वालों के लिए भी इसका तोड़ ढूंढ पाना काफी महंगा होगा. हम जब कार्ड आधारित लेन-देन करते हैं तब ये पहचान पाना काफी मुश्किल होता है कि कार्ड इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति असल कार्डधारक है या नहीं. जबकि फेशियल रिकॉग्निशन पेमेंट में यूजर ही असल मालिक है, ये कन्फर्म हो जाता है. जानकार मानते हैं कि आपके चेहरे की नाप और पहचान आपके पासवर्ड्स से ज्यादा सुरक्षित हैं.
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