डीएनए हिंदी: ट्विटर ने भारतीय मूल के पराग अग्रवाल को नए सीईओ के रूप में नियुक्त किया है. 37 साल की उम्र में दुनिया की टॉप टेक कंपनी में शुमार ट्विटर की कमान संभालते ही भारत को बधाईयां मिलना शुरू हो गईं. इसकी एक वजह यह है कि भारतीय टैलेंट ने दुनिया की टॉप टेक कंपनियों में शीर्ष पर पहुंचकर धाक जमा दी है.   

पराग से पहले गूगल में सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट में सत्य नडेला, एडॉब में शांतनु नारायण, आईबीएम में अरविंद कृष्णा और पालो अल्टो नेटवर्क्स में निकेश अरोड़ा को सीईओ बनाया जा चुका है. हालां​कि इनमें कॉमन बात ये है कि ज्यादातर लीडर आईआईटी से पढ़े हैं.

पराग अग्रवाल आईआईटी मुंबई, सुंदर पिचाई आईआईटी मद्रास से पढ़े हैं. दरअसल, कॉम्पिटीशन के इस दौर में आईआईटी को सफलता की सीढ़ी माना जाता है लेकिन जयपुर के अभिनव पंवार से लेकर माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला तक, कई लीडर ऐसे हैं जो आईआईटी से नहीं पढ़े हैं. फिर भी वह टेक कंपनी में शीर्ष तक पहुंचे. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ लोगों के बारे में...

अभिनव पंवार एडॉब में ग्रुप मैनेजर बनाए गए

जयपुर के अभिनव पंवार की कहानी थोड़ी अलग है. 30 साल के अभिनव एडॉब में ग्रुप मैनेजर बनाए गए हैं. बाकी स्टूडेंट्स की तरह अभिनव भी आईआईटी जाना चाहते थे लेकिन जेईई में सात हजार रैंक मिली तो ये सपना टूट गया. अभिनव ने हार नहीं मानी.

रैंक के आधार पर आईआईएससी बेंगलूरु में एरोस्पेस साइंस ब्रांच मिल रही थी लेकिन उन्होंने वीआईटी वेल्लोर से सीएस (कम्प्यूटर साइंस) ब्रांच चुनी. बीटेक के बाद उन्होंने तीन साल तक बेंगलूरु में जॉब की. इसके बाद अमरीका की टेक्सस यूनिवर्सिटी की एमबीए परीक्षा की तैयारी की.

एमबीए करने के बाद अभिनव को कैलिफोर्निया की सॉफ्टवेयर कंपनी एडॉब में नौकरी मिली और इस तरह उन्होंने अपने सपने की सीढ़ियां चढ़ना शुरू कर दिया. महज 30 साल की उम्र में ग्रुप मैनेजर बन चुके अभिनव ने डेटा एनालिटिक्स की मदद से कंपनी को लगभग 30 मिलियन यूएस डॉलर का फायदा पहुंचाया. उनका सपना कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट बनने का सपना है. अभिनव का मानना है कि पैशन को फॉलो करना जरूरी है, रैंक चाहे जो हो.

माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ  हैं सत्य नडेला

माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला भी नॉन आईआईटियन हैं. बीई (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन) एमआईटी मणिपाल कर्नाटक के 1988 बैच के स्टूडेंट रहे नडेला ने अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रयास जारी रखा. 1990 में उन्होंने विसकॉन्सिन मिलवाउकी यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर साइंस में मास्टर्स किया. 1997 में उन्होंने शिकागो यूनिवर्सिटी से एमबीए कर सफलता की सीढ़ियां चढ़ना शुरू कर दिया. माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के रूप में नियुक्त नडेला के नेतृत्व में 1 लाख से अधिक कर्मचारी काम करते हैं.


पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता हैं वेंकटरमन रामकृष्णन

2009 में रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार विजेता और 2010 के पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता को न केवल सभी IIT द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था, बल्कि वह क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (वेल्लोर) में प्रवेश पाने में भी विफल रहे. इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई करने में असमर्थ वेंकटरमन ने पैशन को जारी रखा और फिर बाद में पोस्ट-ग्रेजुएशन के लिए अमेरिका चले गए.
 

राजीव सूरी नोकिया के सीईओ हैं

राजीव सूरी नोकिया कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हैं. उन्होंने मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से अपनी डिग्री पूरी की थी, जो कर्नाटक में है. ये वही कॉलेज है जहां से सत्या नडेला ने अपनी डिग्री हासिल की थी.


पेंटियम चिप के निर्माता हैं विनोद धाम

विनोद धाम को पेंटियम चिप के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है. धाम ने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (Delhi Technical University) से अपनी इंजीनियरिंग पूरी की. फिलहाल वे एक मार्गदर्शक, सलाहकार व निवेशक के रूप में स्वतंत्र रूप से कार्यरत हैं और कई कम्पनियों के निदेशकमंडल के सदस्य हैं.

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DNA Special: Studying from IIT not necessary to become leader of top tech company, 5 examples
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ऐसे लोगों की कहानी, जो आईआईटी में पढ़े बिना बने लीडर
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