डीएनए हिंदी: कार खरीदना (Buying Car) हर किसी का सपना होता है. भारत में कार खरीदना आम तौर पर एक स्टेटस सिंबल या लग्जरी लाइफ का हिस्सा भी माना जाता है. बढ़ती महंगाई, ईंधन के दाम, लगातार अपडेट होते फीचर्स और लोगों की पसंद के हिसाब से हर वर्ग अलग तरह की कार पसंद करता है. किसी को हैचबैग पसंद है तो किसी को सिडैन ही अच्छी लगती है. किसी का सपना सनरूफ खोलकर मौसम का मजा लेने का है तो कोई कम से कम पैसे खर्च करके बस कार खरीद लेना चाहता है. ऐसे में कार खरीदने का 'सही समय' अगर आपके पैसे बचा सके तो सोने पर सुहागा. जानते हैं किस समय कार खरीदना होता है सबसे सही.
इन बातों का रखें ध्यान
भारत में सस्ती कारों की बात करें तो कुछ कंपनियों की बेस मॉडल कार तीन से चार लाख के बीच शुरू हो जाती हैं. इनकी कीमत फीचर्स, फ्यूल एफिशिएंसी, कार के वेरिएंट और कार की कंपनी के हिसाब से बढ़ती जाती है. ऐसे में कार के फीचर्स को अच्छे से समझना, ऑफ़र की बारीकियां समझना, टेस्ट ड्राइव लेकर कार के ऐक्चुअल फीचर्स की ऑफ़र में बताए गए फ़ीचर्स से तुलना करना और इस सबके साथ-साथ इन चीजों के लिए आपसे वसूली जा रही कीमत को कसौटी पर कसना बहुत ज़रूरी हो जाता है.
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रिसर्च है ज़रूरी
इंटरनेट के जमाने में कोई भी चीज़ खरीदने से पहले उसके बारे में जानना बेहद आसान हो गया है. यही बात कार पर भी लागू होती है. इसलिए कार खरीदने का फैसला करते ही रिसर्च शुरू कर दें. इस रिसर्च से पहले यह तय करें कि आपका बजट क्या है और आप किस मकसद से कार खरीदना चाहते हैं. किसी को ऑफिस जाने के लिए कार चाहिए, किसी को फैमिली के लिए तो किसी को टूर पर जाने के लिए. यहीं से आपके लिए कार की कैटेगरी अलग-अलग हो जाएगी और आप भटकने के बजाय, फोकस होकर बेहतर फैसला ले सकेंगे.
तय करें अपनी ज़रूरत
कार का मॉडल आपकी ज़रूरत के हिसाब से तय होता है. इसलिए कोशिश करें कि अपनी ज़रूरत तय कर लें. मसलन, आपको 5 सीटर कार की ज़रूरत है या उससे बड़ी कार चाहिए. आप कार का इस्तेमाल कितना करेंगे, यह भी तय करें. अगर आपको रेग्युलर इस्तेमाल के लिए कार चाहिए तो वह कार ढूंढें जिसका मेंटनेंस कम हो. साथ ही, वह कार फ्यूल एफिशिएंट हो यानी उसका माइलेज अच्छा हो.
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फीचर्स को समझें
ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, कार के एक-एक फीचर को बारीकी से समझना बेहद ज़रूरी है क्योंकि इन्हीं फीचर्स के नाम पर कार के वेरिएंट अपग्रेड होते हैं और कार की कीमत बढ़ जाती है. फीचर्स को समझने और उन्हें अपनी ज़रूरत के हिसाब से मैच करने के बाद आप यह तय कर सकेंगे कि आपको कार का कौन-सा वेरिएंट लेना चाहिए. मिड रेंज कारों में ही दो वेरिएंट की कीमतों का अंतर एक लाख से दो तीन लाख तक का हो जाता है, इसलिए फीचर्स और उनकी ज़रूरत समझना बेहद ज़रूरी है.
डील कैसे करें
अपना बजट, ज़रूरी फीचर्स और मॉडल तय करने के बाद शोरूम पर जाएं. वहां अपने हिसाब से उस वेरिएंट की कार देखें और डीलर से कम से कम कीमत वाला कोटेशन मांगें. इसमें यह भी ध्यान रखें कि अलग-अलग डीलर अलग-अलग ऑफर देते हैं, इसलिए दो-तीन शोरूम पर ज़रूर जाएं. इससे आप तुलना कर सकेंगे और अपने लिए बेस्ट ऑफर चुन सकेंगे. कोटेशन में यह भी देखें कि कार की बेसिक कीमत के अलावा क्या-क्या अतिरिक्त खर्चे हैं. अक्सर इन्हीं खर्चों को कम करवाकर आप अपने पैसे बचा सकते हैं. जैसे कि एसेसरीज के नाम पर डीलर आपसे अच्छी खासी रकम वसूलते हैं. आप चाहें तो एससेरीज उस शोरूम से न लें और एसेसरीज की कीमत कम करवा दें. यही एसेसरीज आप बाजार से कम दाम पर खरीद सकते हैं.
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कार खरीदने का सबसे अच्छा समय
भारत में त्योहारों पर हर चीज की सेल लगती है. फिर कार कंपनियां और डीलर क्यों पीछे रहें. दीपावली जैसे त्योहारों पर कार कंपनियां कार की कीमतों में, बैंक अपनी ब्याज दरों में और इंश्योरेंस कंपनियां इंश्योंरेंस के प्रीमियम पर अच्छी खासी छूट देती हैं. इसके अलावा, साल के आखिर में स्टॉक क्लियर करने या कार का नया वेरिएंट आने पर पुराने वेरिएंट जल्दी से बेचने की कोशिश में डीलर भी अच्छे-खासे ऑफर देते हैं. भारत में डिस्काउंट का ये मौसम नवरात्रि (अक्टूबर-नवंबर) से शुरू होकर साल के अंत और नए साल की शुरुआत तक चलता है. ऐसे में कार खरीदने का बेस्ट समय यही तीन महीने हैं.
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