साइबर अपराध की घटनाओं में लगभग 35 प्रतिशत मामले फिशिंग यूआरएल से संबंधित होते हैं. साइबर अपराधी कोई न कोई नया यूआरएल क्रिएट करके वायरल करके लोगों तो पहुंचाते हैं और उन्हें ठगी का शिकार बनाते हैं. आइए जानते हैं फिशिंग यूआरएल कैसे टारगेट करता है?
फिशिंग यूआरएल एक तरह का फ्रॉड लिंक होता है. यह ईमेल, मैसेज के रूप में हो सकता है. इस यूआरएल के जरिए आपसे जानकारी मांगी जाएगी. एक बार दिए गए लिंक पर क्लिक करने से आप नकली वेब पेज पर पहुंच जाएंगे. इस दौरान अगर आप मांगी गई जानकारी को वहां भरते हैं तो आप ठगों के झांसे में आ जाएंगे और आपको सारी जानकारी हैकर्स के सर्वर में चली जाएगी.
आपको भेजे गए ईमेल में एक अटैच्ड फाइल भी होती है जिसे डाउनलोड करने के लिए कहा जाता है. अगर आप इस फाइल को डाउनलोड कर लेते हैं तो आपके लैपटॉप या अन्य डिवाइस में अपने आप एक मालवेयर इनस्टॉल हो जाएगा. इसके इनस्टॉल होने के बाद हैकर आसानी से आपकी डिवाइस से जानकारियों को चुरा सकते हैं.
'Phishing URL' से कैसे हैकर करते हैं ठगी, समझें यहां