डीएनए हिंदी: भारतीय ऑटोमोबाइल मार्केट (Indian Automobile Market) में बड़े बदलाव होते दिख रहे हैं. साल 2018-19 के दौर मे आर्थिक स्थिति बुरे दौर में थी तो उसकी मुख्य वजह ऑटो सेक्टर की गिरावट थी. वहीं कोरोनाकाल (Covid) के बाद से एक बार फिर यह मार्केट पटरी पर आता दिख रहा है लेकिन अहम बात यह है कि इस मार्केट में अब धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicle) की जगह बनने लगी है जो यह सवाल उठाती है कि आखिर इस मार्केट का भारत में फ्यूचर (Electric Vehicle Future In India) कैसा हो सकता है?
दरअसल, हाल में 15 अगस्त के दिन देश की दिग्गज कंपनी महिंद्रा ने अपनी 5 इलेक्ट्रिक कारों (Mahindra Electric Car) से पर्दा उठाया है जो कि एक बहुत बड़ा ऐलान है. यह दिखाता है कि कंपनी भारत में इलेक्ट्रिक मार्केट में अपनी पकड़ बनाने के लिए बड़े कदम उठा रही है. एक तरफ जहां महिंद्रा ने ईवी कार का ऐलान किया तो ओला इलेक्ट्रिक (OLA Electric Car) ने भी ओला की इलेक्ट्रिक कार से पर्दा उठाया है. एक ही दिन में इलेक्ट्रिक वाहनों के दो बड़े ऐलान स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का युग शुरू होने में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है.
क्या है हालिया स्थिति
भारत में फिलहाल इलेक्ट्रिक कारों की बात करें तो सबसे बड़ा ब्रांड टाटा (Tata Electric) ही है जिसने अपने ईवी सेंगमेंट में एक सीरीज चला रखी है. नेक्सॉन से लेकर टियागो तक सभी ईवी में भी मिलती हैं. वहीं मारूति जहां अभी भी अपने सस्ते सीएनजी मॉडल्स पर भरोसा जता रहा है तो दूसरी ओर हॉन्डा भी ईवी न सही तो ईंधन और ईवी का मेल यानी हाईब्रिड (Honda Hybrid Car) विकल्प दे ही रही है जो जल्द ही ईवी कारों को लेकर कुछ बड़े ऐलान कर सकती है.
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इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहन अब ई-स्कूटर से लेकर ई-बस और थ्री-व्हीलर तक में दिखने लगे हैं. इन सब के बीच टाटा दे बाद महिंद्रा इस मार्कट में कूद पड़ी है. स्वदेशी ब्रांड्स का इस बाजार में ज्यादा सक्रिय होना सहज भी माना जा रहा है जिससे आर्थिक विस्तार भी संभव है. वही इससे लोगों की पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों की चिंता भी दूर हो जाएगी.
ज्यादा विकल्पों से घट सकतें हैं दाम
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा था कि जल्द ही लोगों को उतनी ही कीमत पर इलेक्ट्रिक कार मिलेगी जितनी कीमत पर अभी वे पेट्रोल कार खरीदते हैं. यह बात राजनीतिक मानी जा रही थी लेकिन इसके पीछे भी एक वजह है. इलेक्ट्रिक कारों के मार्केट में अभी प्रतिस्पर्धा कम औऱ विकल्प भी. वहीं लोगों को फीचर्स भी कम मिल रहे हैं. ऐसे में ज्यादा ब्रांड्स के एक्टिव होने के चलते लोग मजबूरी में ईंधन की कारों पर ही भरोसा जता रहे हैं.
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इसके साथ ही ग्राहकों को अभी ईवी की रेंज को लेकर भी संशय रहता है लेकिन यह माना जा रहा है कि आने वाले कुछ वर्षों में देश इलेक्ट्रिक वाहनों के दाम तेजी से गिरेंगे क्योंकि अब कारें 500 किमी की रेंज तक देने लगी है और तकनीक में इजाफे के साथ ही ग्राहकों की रेंज और फीचर्स की चिंता भी दूर हो जाएगी.
पेट्रोल-डीजल से खत्म होगी निर्भरता
पिछले कुछ वर्षों में पेट्रोल-डीजल के दाम तेजी (Petrol Diesl Price) से बढ़े हैं. ऐसे में यहम माना जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल को लेकर असमंजस देश में ईंधन के दामों को बढ़ाने ही वाला है. ऐसे में यदि भारतीय ऑटोमोबाइल मार्केट इलेक्ट्रिक वाहनों पर शिफ्ट होगा तो इससे भारत का न केवल विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होगा बल्कि देश को अपनी विदेशी नीति कच्चे तेल के आधार पर नहीं तय करनी होगी. वहीं इससे आम आदमी की जेब को भी राहत मिल सकती है.
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इन सभी मुद्दों को देखें तो यह कहा जा सकता है कि इलेक्ट्रिक वाहनों का सेक्टर भारत में अभी नवजात बच्चे सा है जिसका भविष्य उसकी उम्र के साथ सुनहरा हो सकता है और इससे देश को एक बड़ा फायदा भी होगा.
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भारत में क्या होगा इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य, कैसे पेट्रोल-डीजल से कम होगी ऑटो सेक्टर की निर्भरता?