डीएनए हिंदी: देश में असमानता को लेकर देश के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से लेकर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) का नेतृत्व भी चिंता जता चुका है. कोविड के बाद से कई अर्थशास्त्री K Shape रिकवरी की बात करते रहे हैं. फेस्टिवल सीजन में गाड़ियों की बिक्री के आकंड़े भी इसी ओर इशारा करते हैं. तीन साल के बाद इस बार दोपहिया वाहनों की बिक्री साल 2019 की फेस्टिवल सीजन के आकड़ें को पार कर पाई है. वहीं पर्सलन कारों में सेल में 2019 के मुकाबले 18 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है.
K Shape रिकवरी
जब किसी देश में किसी कारणवश आर्थिक गतिविधियां ठप्प हो जाने के बाद रिकवरी के समय आर्थिक रुप से समृद्ध वर्ग जल्दी से अपने पुराने विकास पर लौट आता है. लेकिन निम्म मध्यवर्ग (Lower Middle Class) के लिए स्थितियां या तो बेहतर नहीं होती या बहुत समय लगता है. इस स्थिति को K शेप रिकवरी कहा जाता है.
3 साल के बाद दोपहिया वाहनों की बिक्री बढ़ी
तीन सालों के बाद इस बार के 42 दिन के फेस्टिव सीजन में पहली बार दोपहिया (2-Wheeler) की बिक्री में सुधार देखने को मिला है. FADA (Federation of Automobile Dealers Associations) के आंकड़े बताते है कि दोपहिया वाहनों की बिक्री इस बार 2019 की दीवाली से ज्यादा हुई है. इस बार 21.55 लाख दोपहिया बिके हैं जो कि साल 2019 से 2.2 फीसदी ज्यादा है.
वहीं अगर निजी वाहनों (Personal Vehicle) कैटेगरी में 18.1 % से ज्यादा की ग्रोथ देखी गई है. वहां पर भी एंट्री लेवल कारों की बजाय मिड साईड और बड़ी गाड़ियो में ज्यादा ग्रोथ देखी गई है.
लग्जरी बाईक और कारों की सेल में गजब उछाल
वहीं कुछ दिन पहले FADA ने अक्तूबर में दोपहिया वाहन बिक्री के आंकड़ों जारी किए थे. आकड़ों से पता चलता है कि एंट्री लेवल बाइक बनाने वाली हीरो मोटर की दोपहिया की बिक्री में साल दर साल कमी देखने को मिली है. वहीं दूसरी कंपनियां जैसे होंडा, टीवीएस मोटर और बजाज आटो में भी मामूली वृद्धि ही दर्ज की गई.
वहीं रायल इनफील्ड जैसे लग्जरी बाईक की ब्रिकी में साल दर साल 88 प्रतिशत की ग्रोथ देखने को मिली है.
सरकार के फैसलों से बढ़ रही है असमानता!
जाने माने अर्थशास्त्री और इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेंज के चेयर प्रो. अरुण कुमार का मानना है बीती सालों में लिए गए सरकार के फैसले देश में बढ़ती हुई असमानता का कारण है. प्रो कुमार कहते हैं, “ देश में संगठित क्षेत्र (Organised Sector) जंहा महज 6 % है वहीं बाकी असंगठित क्षेत्र (Unorganised Sector) 94 % है. असंगठित (Unorganised) क्षेत्र में नोटबंदी, GST और कोविड का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव देखने को मिला है. इन फैसलों के कारण असंगठित क्षेत्र का बिजनेस कम होता गया है. देश का संगठित क्षेत्र, असंगठित क्षेत्र की कीमत पर बढ़ रहा है. इसलिए इकोनामी में जो ग्रोथ दिख रही है, उसके पीछे असगंठित क्षेत्र का दर्द छुपा हुआ है. इसी वजह से असमानता बढ़ रही है. इस गरीब देश में एक यूरोप बैठा हुआ है.”
वरिष्ठ अर्थशास्त्री वृंदा जागीरदार की राय अलग है.उनका कहना है, “ कोविड और लॉकडाउन के कारण देश के गरीब और निम्न मध्यम वर्ग की आय का ज्यादा नुक्सान हुआ. समृद्ध वर्ग का काम वर्क फ्राम होम के कारण चलता रहा उनकी आय में उतनी ज्यादा कटौती नहीं हुई. इसके अलावा इस समृद्ध वर्ग लॉकडाउन और दूसरी पाबंदियों के कारण खाने पीने और घूमने पर उतना खर्च नहीं कर पाया. शायद यही कारण है कि लग्जरी और हाईएंड व्हीकल की बिक्री आम कैटेगरी से लगातार बेहतर रही है.”
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