डीएनए हिंदी: सोशल मीडिया पर कोई कंटेंट कितने लोगों तक पहुंचेगा या कितने लोग उसे देख पाएंगे, इसे लेकर ट्विटर (Twitter), फेसबुक (Facebook) और (Instagram) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की मनमानी अब ज्यादा दिन नहीं चलेगी. केंद्र सरकार ने इसे रेगुलराइज करने के लिए शुक्रवार को नए नियम नोटिफाई कर दिए, जिनके तहत 3 महीने के अंदर सोशल मीडिया ग्रिवेंस पैनल (social media Grievance Panel) का गठन किया जाएगा. इलेक्ट्रानिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology या MeitY) के गजट नोटिफिकेशन के मुताबिक. ये तीन सदस्यीय पैनल सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के निर्णयों के खिलाफ सुनवाई करेगा. इसमें विवादित कंटेंट भी शामिल है.
केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट में दी जानकारी
इस गजट नोटिफिकेशन की जानकारी केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेक्नोलॉजी मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) ने ट्वीट के जरिये साझा की है. मंत्री ने ट्वीट में कहा, ये नए IT नियम हमारे ओपन, सुरक्षित व विश्वसनीय, जवाबदेह इंटरनेट के लक्ष्य को हासिल करने का अगला कदम साबित होंगे और सरकार व इंटरनेट इंटरमीडिएरिज के बीच नई साझेदारी का प्रतीक भी बनेंगे, जो इस माध्यम को सभी भारतीयों के लिए सुरक्षित व विश्वसनीय बनाने की हमारी इच्छा को पूरा करेंगे.
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New amended IT rules are next step to realizing our govts duty to #DigitalNagriks of Open, Safe&Trusted, Accountable Internet
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳 (@Rajeev_GoI) October 28, 2022
Also marks a new partnership btwn Govt and Intermediaries in making n keeping our Internet safe & trusted for all Indians.#IndiaTechade #OSTA pic.twitter.com/COQhGOHv5D
क्या है नए नियमों में जानिए
नए नियमों में सरकार ने आपत्तिजनक धार्मिक कंटेंट (जो हिंसा फैलाने के उद्देश्य से पोस्ट किया हो) के साथ ही पोर्नोग्राफी, ट्रेडमार्क उल्लंघन, झूठी जानकारी और ऐसे कंटेंट को शामिल किया है, जो देश की अखंडता के लिए खतरा हो सकता है. ऐसे किसी भी कंटेंट की शिकायत अब कोई भी यूजर सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स से कर पाएंगे. इसके साथ ही अपनी शिकायत पर प्लेटफार्म की तरफ से लिए गए निर्णय को वे ग्रिवेंस कमेटी के सामने चुनौती भी दे पाएंगे.
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टेक कंपनियों की आपत्ति को किया एकतरफ
सरकार की तरफ से यह कोशिश लंबे समय से की जा रही थी, लेकिन ज्यादातर टेक कंपनियां सेल्फ-रेगुलेशन की वकालत करते हुए इसे टाल रही थी. सरकार ने नए नियम के साथ तय कर दिया है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर यूजर्स की कंटेंट को लेकर आपत्ति को ग्रिवेंस अपीलेट अथॉरिटी को ही देखना चाहिए.
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STATEMENT: @GoI_MeitY has notified the Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Amendment Rules, 2022. The notified Amendment Rules cause injury to the digital rights of every Indian social media user. (1/7)https://t.co/W0axL9qjHI
— Internet Freedom Foundation (IFF) (@internetfreedom) October 28, 2022
पिछले साल ही कर दी गई थी शिकंजे की शुरुआत
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर शिकंजा कसने की शुरुआत पिछले साल ही कर दी थी. सरकार ने फरवरी, 2021 में जारी किए IT नियमों में सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के लिए एक कम्पलायंस ऑफिसर नियुक्त करना अनिवार्य कर दिया था. यूजर्स कंटेंट या किसी अन्य यूजर के बारे में ग्रिवेंस ऑफिसर से फर्स्ट लेवल रिपोर्ट कर सकते हैं.
अब इन्हीं नियमों को और ज्यादा मॉडिफाई कर दिया गया है. शुक्रवार को घोषित नए नियमों में ग्रिवेंस रिड्रेसल प्रॉसिजर को इंप्रूव किया गया है. संशोधित नियमों के मुताबिक, अब सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स को 24 घंटे के अंदर यूजर कंप्लेंट्स पर प्रतिक्रिया देनी होगी और 15 दिन के अंदर उसे हल करना होगा. गाइडलाइंस के मुताबिक, सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स को रिपोर्ट किए जाने के 72 घंटे के अंदर कंप्लेंट किए गए कंटेंट में से समस्या पैदा करने वाले कंटेंट की पहचान करते हुए उसे हटाना होगा.
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3 महीने बाद नहीं चलेगी ट्विटर-फेसबुक की मनमानी, नोटिफाई हुए नियम, बनाना होगा Grievance Panel