डीएनए हिंदी: देशभर में कई कार कंपनियों ने इलेक्ट्रिक व्हीकल लॉन्च कर दिए हैं. टाटा इनमें सबसे आगे है. टाटा ने टिगोर और नेक्सॉन जैसी कारों को मार्केट में उतारा है. देशभर में फिलहाल 10 इलेक्ट्रिक कार लॉन्च हो चुकी हैं.
इनमें स्ट्रॉम मोटर्स और टाटा की कारों को छोड़ दें, तो ज्यादातर कारों की कीमत करोड़ों में है. ऐसे में लोग देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति से उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन इलेक्ट्रिक व्हीकल मोबिलिटी में मारुति कहां है? मारुति की तैयारी क्या है? क्या देश की सबसे बड़ी कार कंपनी ईवी की प्रतिस्पर्धा में सबसे पीछे रह गई है? आइए जानते हैं...
मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने हाल ही कहा था कंपनी 2025 के बाद ही देश में इलेक्ट्रिक वाहन लॉन्च करेगी क्योंकि इस समय ऐसे वाहनों की मांग कम है और जब भी वह इलेक्ट्रिक मोबिलिटी स्पेस में प्रवेश करेगी, तो हर महीने लगभग 10,000 यूनिट बेचना चाहेगी.
कहा जा रहा है कि मारुति पॉपुलर कार वेगनआर का ईवी सेग्मेंट लाने की तैयारी कर रही है लेकिन मारुति के अधिकारियों के ऐलान से इसकी 2025 से पहले उम्मीद बेमानी साबित होगी. क्या मारुति का ये अनुमान सही है या फिर इंडिया में उसके प्रतिस्पर्धी ह्यूंडई, टाटा, महिंद्रा और होंडा 2025 तक ईवी मार्केट में आगे निकल जाएंगे.
इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि महिंद्रा की ई केयूवी और टाटा की तीसरी कार टियागो ईवी मार्केट में जल्द ही एंट्री लेने जा रही हैं. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में लोगों की बढ़ती दिलचस्पी, पेट्रोल डीजल के दामों में बढ़ोतरी और चार्जिंग पॉइंट्स की बढ़ती संख्या ने इस ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. कहना गलत नहीं होगा कि मारुति इस मार्केट में अभी काफी पीछे है. जिसे 2025 तक कई कार कंपनियां चुनौती देती नजर आएंगी.
इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर मार्केट
कार एक्सपर्ट हिमांशु जांगिड़ कहते हैं कि ईवी का मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर करेगा. फिलहाल ईवी का जोर मेट्रो सिटीज तक सीमित है. टियर टू और थ्री सिटीज में अभी इसके इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम होना बाकी है.
एक ईवी की रेंज लगभग 400 किमी तक आती है. फिलहाल के लिए इंट्रासिटी का विकल्प ठीक है लेकिन इंटरसिटी ट्रांसपोर्टेशन में इसके सामने कई चुनौतियां हैं.
जहां तक बात मारुति के आकलन की है तो हर कंपनी का नजरिया मार्केट के हिसाब से अलग होता है. मारुति ने देशभर में कम्प्लीट इंफ्रास्ट्रक्चर होने पर ईवी लॉन्च करने की तैयारी की है, जो उसके कस्टमर बेस के हिसाब से सही है.
जबकि टाटा को लगता कि 2025 तक मार्केट को समझ लिया जाए. वैसे, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में मारुति को टक्कर देना अपने आप में बड़ी चुनौती है. मारुति और ह्यूंडई जैसी कंपनियां यदि स्मॉल कार सेग्मेंट में फिलहाल ईवी नहीं ला रही हैं, तो उनका आकलन सही माना जा सकता है.
चुनौतियां अपार
वहीं दूसरी ओर टेक और ईवी एक्सपर्ट आकाश कहते हैं कि टाटा और महिंद्रा की तैयारी ईवी मार्केट के हिसाब से काफी बेहतर है. टाटा ईवी यूज कर रहे आकाश कहते हैं मारुति को लगता है कि उसका कस्टमर बेस मार्केट के हिसाब से तैयार हो जाए लेकिन तब तक टाटा जैसी कंपनियां मार्केट को स्टडी कर काफी आगे निकल चुकी होंगी.
मारुति को रेस्पॉन्सिबल कॉर्पोरेट की तरह भी काम करना चाहिए क्योंकि जब यह माहौल बनाना शुरू करेगी तब सरकारें इंफ्रास्ट्रक्चर में भी तेजी लाना शुरू करेगी. इससे निश्चित तौर पर सरकारों पर दबाव बनना शुरू होगा.
टाटा ने ईवी का लगभग 75 प्रतिशत मार्केट कवर किया है. मारुति की देरी से ईवी सेग्मेंट में टाटा काफी आगे निकल सकता है. भले ही मारुति का पेट्रोल डीजल की कारों में कितना ही अनुभव और कस्टमर बेस हो, लेकिन हर कंपनी को इसे जीरो से शुरू करना होगा.
फिर प्रोडक्ट लॉन्च के बाद रिस्क फैक्टर भी होगा. टाटा का भले ही एक प्रोडक्ट फेल हो जाए लेकिन वह दूसरे के लिए तैयारी जरूर कर चुका होगा. ऐसे में ये अनुमान लगाया जा सकता है कि मारुति को ईवी में कड़ी चुनौती जरूर मिलेगी, इसे ईवी का लीडर बनने में काफी समय लग जाएगा.
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