डीएनए हिंदी: भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स तेजी से बढ़ रहे हैं. इसी के साथ इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं और ईवी व्हीकल्स खरीदने वाले लोगों के सामने बड़ी समस्या चार्जिंग को लेकर खड़ी हो गई है. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बैटरी आमतौर पर चार्ज होने में लंबा समय लेती हैं. इस बारे में ऑटो इंडस्ट्री को भी चिंता सताने लगी है. केंद्र सरकार ने भी इस पर चिंता जताई है. केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि इस चिंता को कम करने के लिए ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) को नई तकनीक विकसित करनी चाहिए.
मंत्री ने कहा, "चार्जिंग से संबंधित इन समस्याओं में से एक को दूर करने के लिए, मैं ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) से ऐसी तकनीक विकसित करने का आग्रह करूंगा जो चार्जिंग समय को कम करे." उन्होंने आगे कहा कि ईवी मालिकों के लिए चार्जिंग चिंता को देखते हुए, केंद्र सरकार ने देशभर में नौ एक्सप्रेसवे चुने हैं जहां 6,000 ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे. इसमें से लगभग 50 प्रतिशत जल्द ही स्थापित होंगे.
दरअसल ईवी बैटरियों के लिए उन्नत रासायनिक सेल (एसीसी) का आयात उच्च लागत के कारणों में से एक है. इस बारे में मंत्री का मानना है कि बैटरी की कीमत कम रखने के लिए एसीसी का उत्पादन स्थानीय स्तर पर किया जा सकता है.
पहले से ही उपलब्ध है सामग्री
लिथियम-आयन बैटरी बनाने में इस्तेमाल होने वाली लगभग 70 प्रतिशत सामग्री भारत में पहले से ही उपलब्ध है. सरकार विशेष योजना के माध्यम से ऑटो कंपोनेंट निर्माताओं के लिए 8-13 प्रतिशत और ईवी निर्माताओं के लिए 13-18 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है. सामान्य तौर पर एक इलेक्ट्रिक कार फुल चार्ज होने के लिए 7 से 8 घंटे का समय लेती है. ऐसे में इतनी देर इंतजार करना बड़ी चुनौती है.
दुनियाभर की कंपनियां पांच मिनट में पूरी तरह से चार्ज करने वाली बैटरियों के उत्पादन पर काम कर रही हैं. नई लिथियम-आयन बैटरियां इजरायली कंपनी स्टोरडॉट द्वारा विकसित की गई हैं. स्टोरडॉट ने पहले ही फोन, ड्रोन और स्कूटर में अपनी "एक्सट्रीम फास्ट-चार्जिंग" बैटरी का प्रदर्शन किया है और अब ये कंपनी कार बैटरियों को पांच मिनट में पूरी तरह से चार्ज करने पर काम कर रही है.
हालांकि इसके लिए आज की तुलना में बहुत अधिक पावर वाले चार्जर की आवश्यकता होगी. उपलब्ध चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करते हुए, स्टोरडॉट का लक्ष्य 2025 में पांच मिनट में कार की बैटरी को 100 मील या करीब 160 किमी तक के लिए चार्ज करना है.
दुनियाभर में दर्जनों कंपनियां फास्ट-चार्जिंग बैटरी विकसित कर रही हैं, जिसमें टेस्ला, एनवेट और सिला नैनोटेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियां शामिल हैं. सभी सिलिकॉन इलेक्ट्रोड पर काम कर रही हैं.
ये भी हो सकता है विकल्प
यदि ग्राफीन की कीमत कम हो जाती है और यह बड़े पैमाने पर उत्पादन में चला जाता है तो बैटरी पैक के रूप में कई पाउंड ग्रेफाइट को ग्रेफीन शीट से बदला जा सकता है. ग्रेफीन इलेक्ट्रॉनों को ग्रेफाइट की तुलना में आसान प्रवाह करने की अनुमति देता है और इस प्रकार चार्जिंग समय काफी कम किया जा सकता है. इसके अलावा, लिथियम आयन बैटरी की तुलना में लौह/टाइटेनियम बैटरी जल्द चार्ज होती है.
हाल ही वैज्ञानिकों द्वारा लिथियम आयन बैटरी की तुलना में पांच गुना तेज गति से कार्य करने वाली बैटरी विकसित की गई है. ये बैटरी ग्रेफीन आधारित है. दक्षिण कोरिया में सैमसंग एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एसएआईटी) में शोधकर्ताओं ने ये बैटरी विकसित की है. इस बैटरी का उपयोग नई जनरेशन के मोबाइल के साथ – साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए किया जाएगा.
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