डीएनए हिंदी: दिग्गज क्रिकेटर शेन वॉर्न अब हमारे बीच नहीं हैं. 52 साल के शेन वॉर्न थाईलैंड के कोह समुई (Koh Samui, Thailand) में अपने विला में बेसुध पाए गए. वॉर्न के निधन से क्रिकेट जगत स्तब्ध है. शेन वॉर्न ने आईपीएल फ्रेंचाइजी राजस्थान रॉयल्स को 2008 में सबसे पहला खिताब दिलाया लेकिन वह अपने फैसलों और आलोचना के कारण कई बार निशाने पर रहे.
2008 के बाद राजस्थान रॉयल्स अपनी सफलता को नहीं दोहरा सका. वॉर्न को टूर्नामेंट के 2011 संस्करण के दौरान विदाई दे दी गई. आलम यह था कि रॉयल्स प्रबंधन स्वामित्व से संबंधित मुद्दों में फंस गया और लगभग 2011 में आईपीएल से बर्खास्त होने के कगार पर आ गया. हालांकि वह बाद में राजस्थान रॉयल्स के मेंटर के तौर पर जुड़े हुए थे.
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लगा था 50 हजार डॉलर का जुर्माना
ऑस्ट्रेलियाई लेग स्पिनर शेन वॉर्न पर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के एक अधिकारी की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने के लिए 50 हजार अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाया गया था. मई 2011 में आईपीएल के अध्यक्ष चिरायु अमीन और भारत के पूर्व कप्तान रवि शास्त्री के दो सदस्यीय आयोग ने राजस्थान क्रिकेट संघ (आरसीए) की शिकायत पर सुनवाई कर कहा कि वॉर्न ने आईपीएल मैच के बाद सार्वजनिक रूप से अपने सचिव संजय दीक्षित का अपमान किया था. 11 मई 2011 को वॉर्न जयपुर में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ मैच के दौरान खेल की सतह में बदलाव से परेशान थे और दीक्षित को जिम्मेदार ठहराया था.
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वीकनेस को स्ट्रेंथ बनाया
राजस्थान के पूर्व क्रिकेटर पंकज सिंह ने डीएनए हिंदी से कहा, जब शेन पहली बार आईपीएल फ्रेंचाइजी राजस्थान रॉयल्स के कप्तान बने तब उन्होंने टी 20 क्रिकेट को एक नई ऊंचाई दी. वह टेस्ट के दिग्गज थे लेकिन टीम को पहला आईपीएल खिताब दिलाकर टी 20 के दिग्गज बन गए. वॉर्न की टीम में हर बार एक सरप्राइज एलीमेंट होता था. उन्होंने कई बार स्पिन से गेंदबाजी की शुरुआत कराई. युवा खिलाड़ियों को सीनियर से ज्यादा मौके दिए और ऐसे कई फैसले लिए जो मैच जीतने के लिए काफी थे. उन्होंने टीम की वीकनेस को ही स्ट्रेंथ बना लिया. चाहे वह स्वपनिल असनोलकर से ओपन करना हो चाहे अमित सिंह से गेंदबाजी कराना हो. वह अपने हिसाब से टीम चुनते.
No, it just can’t be…
— Rajasthan Royals (@rajasthanroyals) March 4, 2022
अपनी किताब में किया जिक्र
वॉर्न ने अपनी पुस्तक "नो स्पिन" में एक पूरा अध्याय आईपीएल 2008 के दौरान राजस्थान रॉयल्स में अपने कार्यकाल के लिए समर्पित किया था. उन्होंने प्रमोटरों से जोर देकर कहा था कि 16 खिलाड़ियों के अंतिम लॉट का चयन केवल योग्यता के आधार पर होना चाहिए.
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उन्होंने एक क्रिकेटर को शामिल करने के प्रयास का विरोध किया जिसे वॉर्न की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा नहीं चुना गया था. उन्होंने कहा था कि मोहम्मद कैफ को पूर्व खिलाड़ी होने के नाते विशेष ट्रीटमेंट की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. हालांकि रवींद्र जडेजा ने वॉर्न को उनके रवैये और दृष्टिकोण से इतना प्रभावित किया कि उन्हें ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज को "रॉकस्टार" के रूप में उपनाम दिया गया. राजस्थान ने रवींद्र जडेजा, यूसुफ पठान जैसे युवा और ग्रीम स्मिथ, शेन वॉटसन, सोहैल तनवीर, यूनिस खान, कामरान अकमल जैसे अंतरराष्ट्रीय चेहरों को अपनी टीम में शामिल किया था.
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