अंजू बॉबी जॉर्ज विश्व एथलेटिक्स में पहली भारतीय महिला हैं जिन्हें पदक मिला है. उन्होंने साल 2003 में इस प्रतिष्ठित चैंपियनशिप के लॉन्ज जंप स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था. केरल की इस विलक्षण खिलाड़ी की जिंदगी बहुत सी महिला खिलाड़ियों के लिए आदर्श है. अंजू को अपने करियर के बीच अचानक ही अपनी शारीरिक खामी के बारे में पता चला था.
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अंजू बॉबी जॉर्ज ने एक स्पोर्ट्स मैगजीन के लिए लिखे लेख में बताया था कि साल 2000 में उन्हें पता चला था कि उनके शरीर में सिर्फ एक ही किडनी है. उस वक्त वह अपने करियर के पीक पर थीं. अंजू ने बताया कि यह सच जानकर वह हैरान रह गईं थीं कि लेकिन उस वक्त उनके और अब पति भी ने उनका हौसला बढ़ाया था. अंजू कहती हैं कि इसके बाद उन्होंने कई डॉक्टर से संपर्क किया था और सबने कहा कि वह खेलने के लिए पूरी तरह से फिट हैं.
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अंजू बॉबी जॉर्ज को वर्ल्ड एथलेटिक्स ने ‘वुमेन ऑफ द ईयर’ अवॉर्ड से सम्मानित किया था. वर्ल्ड एथलेटिक्स संस्था ने अंजू को यह अवॉर्ड भारत में खेल को आगे बढ़ाने के प्रयासों के साथ महिलाओं को प्रेरित करने के लिए दिया है. इंडियन एथलेटिक्स फेडरेशन की सीनियर उपाध्यक्ष अंजू ने साल 2016 में युवा लड़कियों के लिए ट्रेनिंग एकेडमी खोली थी. उनकी एकेडमी ने अंडर-20 पदक विजेताओं को तैयार किया था.
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अंजू ने आईएएएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप (पेरिस 2003) में गोल्ड मेडल जीता था. उन्होंने 6.70 मीटर क छलांग लगाकर जीत दर्ज की थी. इसके अलावा उन्होंने मोनाको में 2005 में आईएएएफ वर्ल्ड एथलेटिक्स फाइनल्स में भी मेडल जीता था. हालांकि, वह ओलंपिक में कभी मेडल नहीं जीत पाई हैं.
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अंजू ने अपने कोच रॉबर्ट बॉबी जॉर्ज से ही शादी की है. अंजू उन्हें अपना प्रेरणा स्रोत भी मानती हैं. बॉबी को अंजू जैसी खिलाड़ी तैयार करने के लिए द्रोणाचार्य अवॉर्ड भी दिया गया है. फिलहाल यह जोड़ा बेंगलुरु में रहता है.
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अंजू को खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा गया था. 2004 में उन्हें भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.