डीएनए हिंदी: कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games 2022) में वेटलिफ्टिंग में भारत को अब तक 4 मेडल मिले हैं. मीराबाई चानू ने देश के लिए सोना जीता और 23 साल की बिंदियारानी देवी ने सिल्वर मेडल (Bindyarani Devi Silver Medal) अपने नाम किया है. मणिपुर की बिंदिया अपना रोल मॉडल भी मीराबाई को ही मानती हैं और दोनों की संघर्ष की कहानी भी मिलती-जुलती है. देश के लिए मेडल जीतने वाली इस बिटिया की कहानी जानकर आप भी गर्व से भर उठेंगे.
Bindyarani Devi Struggle Story
कहते हैं कि 'बड़े सपने के लिए बड़ा हौसला चाहिए' और बिंदिया ने इसे शायद अपने जीवन का सूत्र वाक्य बना लिया है. वेटलिफ्टिंग की यात्रा बिंदिया के लिए बहुत मुश्किल रही है. एक वक्त ऐसा था कि नियमित आय के लिए उनके पास कोई अच्छी नौकरी तक नहीं थी. खेल में अपने करियर को बढ़ाने के लिए जरूरी आमदनी तक नहीं कर पा रही थीं. वेटलिफ्टिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले जूते काफी महंगे होते हैं. बिंदिया के पास उसे खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे. एक साल पहले तक 25,000 रुपयों के लिए भी उन्हें दोस्तों से मदद मांगनी पड़ती थी.
बिंदिया ने परिवार की आर्थिक स्थिति और अपनी कम आय जैसी परेशानियों को अपने सपने को पूरा करने के बीच में नहीं आने दिया था. उन्होंने इन मुश्किलों को परे रखकर अपनी ट्रेनिंग, फिटनेस पर पूरा ध्यान दिया और आज वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश के लिए गोल्ड जीतने के बाद कॉमनवेल्थ में सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं.
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Mirabai Chanu को मानती हैं अपना रोल मॉडल
बिंदियारानी इस गेम में अपना रोल मॉडल मीराबाई चानू को मानती हैं. एक निजी स्पोर्ट्स पत्रिका को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'मेरी सफलता में मीरा दी का बहुत बड़ा योगदान है. उन्होंने मुश्किल वक्त में मुझे उत्साहित किया था और फिटनेस और ट्रेनिंग में बहुत मदद की थी.'
बिंदिया ने इसी इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें मीराबाई ने खेल उपकरणों को खरीदने के लिए आर्थिक सहायता भी दी थी. बिंदिया का लक्ष्य ओलंपिक में गोल्ड जीतना है. वह कहती हैं कि मीरा दी की तरह मैं भी ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतना चाहती हूं. यह किसी भी खिलाड़ी का सबसे बड़ा सपना होता है.
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Commonwealth Games में ऐसा रहा प्रदर्शन
23 साल की बिंदियारानी देवी ने वेटलिफ्टिंग के 55 किग्रा वेट कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता है. उन्होंने कुल 202 किग्रा का वजन उठाया था. स्नैच के पहले प्रयास में उन्होंने 81 किग्रा वजन, दूसरे प्रयास में 84 और तीसरे प्रयास में 86 किग्रा वजन उठाया था. स्नैच के बाद ओवरऑल उनकी रैंकिंग तीसरे नंबर पर थी और देश को मेडल की पूरी उम्मीद लग रही थी.
क्लीन एंड जर्क के पहले प्रयास में मणिपुर की युवा वेटलिफ्टर ने 110 किग्रा वजन उठाया था. हालांकि, दूसरे प्रयास में 114 किग्रा वजन उठाने में वह असफल रही थीं. तीसरे प्रयास में उन्होंने पूरा ज़ोर लगाया था और 116 किग्रा का वजन उठाकर सिल्वर अपने नाम कर लिया. इसके साथ ही पूरा देश एक और मेडल की खुशी में झूम उठा था.
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नौकरी नहीं थी, जूते खरीदने के पैसे नहीं... हर संघर्ष को मात दे बिंदियारानी ने जीता देश के लिए सिल्वर