डीएनए हिंदी: बुधवार को लोकसभा में नेशनल एंटी डोपिंग विधेयक 2021 को मंजूरी दे दी गई. इससे अब देश में डोपिंग पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. विधेयक का उद्देश्य "राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA), राष्ट्रीय डोप परीक्षण प्रयोगशाला (NDTL) और अन्य डोप परीक्षण प्रयोगशालाओं के संचालन के लिए एक वैधानिक ढांचा प्रदान करना है. बिल के पास होने का बाद खेल में डोपिंग रोधी गतिविधियों को मजबूत करने के लिए एक राष्ट्रीय डोपिंग रोधी बोर्ड का निर्माण किया जाएगा।
केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक से न सिर्फ खेल और खिलाड़ियों को मदद मिलेगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत को भी बल मिलेगा. लोकसभा में चर्चा के बाद National Anti Doping Bill 2021 को पारित कर दिया गया. इसका मतलब ये है कि भारत ने Anti Doping Law बना लिया है. अब देश में ही खिलाड़ियों का डोप टेस्ट संभव हो पायेगा.
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इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि खिलाड़ियों के डोपिंग टेस्ट के लिए किसी अन्य देश पर निर्भर नहीं रहना होगा. राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक 2021 के पारित किए जाने के बाद केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक से न सिर्फ खेल और खिलाड़ियों को मदद मिलेगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत को भी बल मिलेगा. इससे पहले डोप टेस्ट के लिए सैंपल किसी दूसरे देश में भेजा जाता रहा है, जहां सैंपल के साथ छेड़-छाड़ की संभावना बनी रहती है.
बिल लागू होने से कई तरह के फायदे होंगे
ऐसे में देश में बिल के लागू होने से अब ये टेस्ट भारत में ही संभव हो पाएगा और पैसों की भी बचत होगी. ठाकुर ने इस बील को परित कराते हुए कहां, खेल और खिलाड़ी मोदी सरकार की प्राथमिकता हैं. इसका असर मैदान पर भी देखा गया है, जहा भारतीय खिलाड़ियों ने पिछले कुछ सालों में शानदार प्रदर्शन किया है. टोक्यो में भारत ने अब तक खेलों के इतिहास में सबसे अधिक पदक जीते. इसके अलावा पैरालंपिक्स में भी भारत ने शानदार प्रदर्शन किया.
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उन्होंने कहा कि जब खेल और खिलाड़ियों की बात आती है तो हमारे पार एंटी डोपिंग तरीकों की कमी थी. इस कानून के बन जाने से खिलाड़ियों को डोप टेस्ट कराने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना होगा. इस कानून के बनते ही अब देश में नाडा की ताकत बढ़ जाएगी, जो देश के खिलाड़ियों का डोप टेस्ट करवाती है. नाडा के पास जांच करने के साथ कार्यवाई करने का भी आधिकार होगा. खेल मंत्री ने कहा, साल 2008 में राष्ट्रीय डोप टेस्ट लेबोरेटरी बनाई गई थी, नियम भी बनाए गए थे, लेकिन इसे कानूनी दर्जा नहीं मिला था.
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अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन बेहतर करना है तो मानदंडों को भी बेहतर करना होगा. ठाकुर ने यह भी बताया कि पिछले वर्ष NDTL को विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) से फिर मान्यता मिल गई है जिसे 2019 में वैश्विक मानदंडों पर खरा नहीं उतरने की वजह से रोक दिया गया था.
खेल मंत्री ने कहा कि हम किसी बड़ी खेल प्रतियोगिता का आयोजन करते हैं, तब एक दिन में 10 हजार से अधिक सैंपल्स की जांच की जरूरत पड़ेगी, ऐसे में एक प्रयोगशाला से काम नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर और प्रयोगशालाएं स्थापित की जा सकती हैं. उन्होंने कहा कि एक लैब को बनवाने में 70 से 100 करोड़ रुपये खर्च आता है लेकिन धन को आड़े नहीं आने दिया जाएगा.
क्यों करते हैं अवैध दवाओं का सेवन
दरअसल डोप में इस्तेमाल किए जाने वाले दवाओं का उपयोग बिमारियों का ठीक करने के लिए किया जाता है. लेकिन जब उसे अपनी उर्जा को बढ़ाने के लिए लिया जाता है, तो वो नियमत: अवैधानिक माना जाता है और ऐसे में अगर किसी खिलाड़ी के सैंपल में किसी तरह की ऐसी दवा का सेवन पाया जाता है, तो उस खिलाड़ी को बैन किया जा सकता है. कम समय में सुडौल और आकर्षक बॉडी बनाने के लिए युवाओं में स्टेरॉयड की ओर रुझान बढ़ता जा रहा है.
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देश में कई तरह के स्टेरॉयड्स का इस्तेमाल चलम में हैं. 250 रुपये से लेकर 12000 रुपये तक के स्टेरॉयड्स मार्केट में उपलब्ध हैं. देश में स्टेरॉयड्स का इस्तेमाल काभी समय से होता रहा है. पहले सिर्फ बॉडी बिल्डर्स शरीर को आकर्षक दिखाने के लिए इसका इस्तेमाल करते थे लेकिन धीरे धीरे अब ये खेल के मैदान तक पहुंच चुका है.
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Anti Doping Bill: क्या है एंटी-डोपिंग बिल, जिसे लोकसभा में किया गया परित, इससे कैसे खेलों को मिलेगा लाभ