डीएनए हिंदी: 'गॉड ऑफ क्रिकेट' के नाम से पहचाने जाने वाले भारत के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर का जब भी नाम सामने आता है, तो लोगों को लगता है कि पक्का किसी आंकड़ों की बात होने वाली है या फिर किसी ऐसे किस्से के बारे में बात होगी, जब सचिन ने किसी बॉलर की रातों की नींद उड़ा दी होगी. लेकिन आज हम बात करने वाले एक ऐसे गेंदबाज की जिसने सचिन की रातों की नींद उड़ा दी थी और वो करीब 36 घंटों तक ठीक से सो नहीं पाए थे. क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन को परेशान करने की हिम्मत करने वाले इस गेंदबाज का नाम है हेनरी ओलंगा. जी हां, ठीक सुना आपने जिम्बॉब्वे के पूर्व तेज गेंदबाज ओलंगा. जो अपने डेब्यू से ही चर्चा में आ गए थे.
बात है 1998 में शारजाह में खेली गई कोका-कोला चैंपियंस ट्रॉफी की. जिसमें भाग लिया था इंडिया, श्रीलंका और जिम्बॉब्वे ने. इस सीरीज के फाइनल मुकाबले से पहले मैदान पर वापसी कर रहे ओलंगा ने एक के बाद एक इंडिया के तीन टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों को चलता किया था. जिसमें सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर शामिल थे. हालांकि ये मैच कोई निर्णायक मैच नहीं था. लेकिन इस मैच में ओलंगा की गेंदबाजी ने मानो भारतीय टीम के अंदर खौफ पैदा कर दिया था और जिम्बॉब्वे ये मैच जीत भी गई थी.
दो गेंदों में दो बार किया सचिन को आउट
ओलंगा ने पहले गांगुली को आउट किया, फिर द्रविड़ को और फिर टीम के सबसे बड़े खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर को. सचिन को ओलंगा ने दो गेंदों में दो बार आउट किया. पहली गेंद नो बॉल थी, लेकिन अगली गेंद थी एक तेज बाउंसर जिसे सचिन पढ़ नहीं पाए और कैच दे बैठे. लेकिन सचिन का विकेट लेने के बाद ओलंगा ने कुछ ऐसा किया, जो सचिन को पसंद नहीं आया और उन्होंने ओलंगा को सबक सिखाने की ठान ली.
सचिन तो सचिन हैं
दरअसल उस समय नौजवान ओलंगा ने सचिन को आउट करने के बाद पहले उन्हें घूरा और फिर खुलकर जश्न मनाने लगे. सचिन बिना कोई रिएक्शन दिए मैदान से चले गए. इसके बाद अगला मैच दो दिन बाद होना था. ये था फाइनल मुकाबला, जो जिम्बॉब्वे और भारत के बीच ही खेला जाना था. मैच से पहले के करीब 36 घंटे सचिन के लिए आसान नहीं थे. बताया जाता है कि वो ठीक से सो भी नहीं पा रहे थे. लेकिन सचिन तो सचिन हैं, वो हमेशा वापसी करते हैं और जिस भी गेंदबाज ने उन्हें कभी परेशान किया उसकी क्लास उन्होंने मैदान पर जरूर लगाई है.
ओलंगा का करियर ही हिला डाला
फिर क्या था ओलंगा की बाउंसर से निपटने के लिए सचिन ने जमकर प्रेक्टिस करनी शुरू कर दी. सचिन ने बाउंसर की खूब प्रेक्टिस की और फाइनल मुकाबले में हेनरी ओलंगा की धुलाई के लिए वो तैयार थे. मैच से पहले सचिन शांत दिखे. फिर मैच शुरू हुआ और इसके साथ ही शुरू हुई सचिन की वो पारी जिसे कभी कोई भुला नहीं पाया. ओलंगा ने बाउंस फेंकी और सचिन ने उसे बाउंड्री के बाहर भेजा. मैदान पर शांत रहने वाले सचिन ने इस मुकाबले में बेहद आक्रामक बल्लेबाजी की ओलंगा की ऐसी लय बिगाड़ी की ओलंगा का मानो करियर ही खत्म हो गया. इससे पहले वाले मैच में जिस ओलंगा का खौफ था, उसे सचिन ने खत्म कर दिया था. ओलंगा ने छह ओवर में 50 रन दिए. वहीं सचिन 92 गेंदों पर 124 रन बनाकर नाबाद रहे और भारत ने ये मैच बिना कोई विकेट गंवाए ही जीत लिया.
ओलंगा और सचिन की ये कहानी क्रिकेट की दुनिया की एक चर्चित कहानियों में से एक है. एक इंटरव्यू में खुद ओलंगा ने भी ये बात कही है कि मैंने सचिन को आउट किया पर वो नो बॉल थी. मैंने इतना ज्यादा पंप्ड था कि मैंने अगली ही बॉल बाउंसर डाली और सचिन प्वाइंट पर कैच दे बैठे. मुझे लगता है इस बात से सचिन बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए थे.
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